लखनऊ : सीबीआई, एनआईए समेत देश के कई राज्यों की पुलिस जिस शातिर अपराधी को ढूंढ़ रही है. उसने ईटीवी भारत से बस्ती जिले में बात की और अपनी सफाई दी. हामिद अशरफ आईआरसीटीसी की साइट को हैक करने वाला एक ऐसा नाम है, जो रेलवे को कई करोड़ का चूना लगा चुका है.
2016 में हामिद को बस्ती से गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद हामिद जमानत पर बाहर आया और फिर से उसने पूरे देश में रेलवे की साइट को हैक करने का नेटवर्क शुरू कर दिया, इस समय हामिद कहां से अपना नेटवर्क चला रहा है. इसकी जानकारी किसी को नहीं है.
मीडिया के सवालों का जवाब देता आरोपी हामिद अशरफ. दिल्ली आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार ने एक प्रेस कांफ्रेंस में आईआरसीटीसी की साइट हैक कर ई-टिकटिंग करने और उससे आए पैसों का इस्तेमाल आतंकवाद में करने के मामलों में हामिद का हाथ होने की बात कही थी. इस सब में कप्तानगंज क्षेत्र के हामिद का नाम आने के बाद उसका पिता भी भाग निकला. बता दें कि ई-टिकटिंग के जरिए टेरर फंडिंग करने के आरोपी हामिद अशरफ के पिता जमीरुल हसन उर्फ लल्ला चूड़ी का काम करते थे, मगर पिछले 10 वर्ष में चूड़ी कारीगर यह परिवार शून्य से शिखर तक पहुंच गया.
जानकारी देते आईजी आशुतोष कुमार. ये भी पढ़ें-1950 से 2020 तक गणतंत्र दिवस पर आने वाले विदेशी अतिथियों की पूरी सूची
सुरक्षा को लेकर नहीं की वीडियो कॉल
ईटीवी भारत ने जब टिकट हैकर हामिद अशरफ के घर जाकर उसके परिवार वालों से बात करनी चाही तो किसी ने भी कैमरे पर बात नहीं की. वहां मौजूद रिश्तेदार ने हामिद के पिता से बात कराने के नाम पर नम्बर लिया. वहां से हमारे निकलने के तुरंत बाद हामिद अशरफ ने इंटरनेट के जरिये (+610831399 नम्बर से) कॉल की और अपनी सफाई पेश की. हामिद अशरफ ने कहा कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर कैमरे के सामने नहीं आ सकता. इसलिए वह मीडिया के सवालों का जवाब लिखित में भेज देगा. ईटीवी भारत ने हामिद की बताई एक एप से उसे सवाल भेजे जिसके बाद उसने कॉल कर उनके जवाब दिए.
हामिद ने खुद को बेकसूर बताते हुए कहा कि उसके पुराने साथी शमशेर और सलमान उसे फंसा रहे हैं. उसको जान से मारना भी चाहते हैं. इसलिए वह मीडिया में चल रही खबरों को लेकर अपनी सफाई पेश कर रहा है. हामिद ने कहा कि पांच दिन पहले कर्नाटक पुलिस ने रेलवे की साइट को हैक करने वाले शख्स गुलाम मुस्तफा को गिरफ्तार किया है. उसके बाद डीजी रेलवे ने मीडिया में बताया कि हामिद इस गैंग का सरगना है और टेरर फंडिंग में भी शामिल है, जबकि कर्नाटक में हुई एफआईआर में कहीं भी नाम नहीं है.
प्रश्न- आप पर टेरर फडिंग और रेलवे की साइट हैक करने का आरोप है?
जवाब-ये एक ऐसा आरोप है, जिससे किसी भी भारतीय नागरिक का सिर शर्म से झुक जाएगा. मैं मुस्लिम जरूर हूं, लेकिन पहले भारतीय हूं. एनआईए और आईबी जांच कर रही है, मैं पूरी तरह से जांच में सहयोग करना चाहता हूं, लेकिन मुझे गोंडा पुलिस का बहुत बड़ा खतरा है. गोंडा पुलिस की इस प्रकरण में मुख्य आरोपी को बचाने में अहम भूमिका है.
प्रश्न- गुलाम मुस्तफा से आपका क्या संबंध है?
जवाब- गुलाम मुस्ताफा का नाम मैं पहली बार सुन रहा हूं. मेरा इससे कोई नाता नहीं है और न ही मैं इसे जानता हूं.
प्रश्न- दो दिन पहले दिल्ली आरपीएफ ने एक खुलासा किया है, इसमें क्या सच्चाई है?
जवाब-मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप गलत हैं. ये सभी आरोप 2016 से पहले के हैं. मैंने 2016 के बाद ऐसा काम नहीं किया है और न ही मैं ऐसे लोगों के संपर्क में हूं. मैंने टिकटिंग का काम 2016 से पहले शुरू किया था, जो अब छोड़ चुका हूं. मीडिया में मुझे बदनाम न किया जाए.
प्रश्न- 2016 में आपको एसटीएफ ने पकड़ा था, उसके बाद आप आईआरसीटीसी हैक में शामिल थे या नहीं?
जवाब-2016 में मुझे सीबीआई पुलिस इंस्पेक्टर टी राज शेखर ने गिरफ्तार किया था. इसके बाद मैंने कभी टिकटिंग का काम नहीं किया है.
प्रश्न- डीजी आलोक कुमार को एक मेल भेजी गई है, क्या ये सही है?
जवाब-मैंने अपनी ईमेल आईडी से कभी मेल नहीं किया है. कोशिश जरूर कर रहा हूं कि उनका मोबाइल नम्बर मिल जाए, ताकि मैं अपना पक्ष उन तक पहुंचा सकूं.
प्रश्न- वर्तमान में कहां हैं, क्या आप टिकट हैकिंग का काम कर रहे हैं?
जवाब-मैं सुरक्षा की वजह से अपनी लोकेशन नहीं बता सकता. मैं कभी भी किसी जांच एजेंसी से भागा नहीं हूं, लेकिन मुझे शमशेर व उनके आदमियों से खतरा है. वह लोग लोकल पुलिस से मिले हुए हैं.
प्रश्न- आपको कौन फंसा रहा है?
जवाब-इस मामले में पर्दे के पीछे कौन लोग हैं, मुझे पता नहीं है लेकिन इसका सारा काम काज गोंडा के शमशेर ही देखते हैं.
प्रश्न- गोंडा के कॉन्वेट स्कूल में हुए बम ब्लास्ट में आपका नाम शामिल है, इसके बारे में बताएं?
जवाब-इसके लिए आपको गोंडा पुलिस से पूछना चाहिए. पैसा व ताकत के बल पर शमशेर मुझे फंसा रहा है.
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रेलवे स्टेशन के काउंटर की करता था दलाली
परिवार की माली हालत ठीक न होने के कारण हामिद पुरानी बस्ती स्थित अपनी ननिहाल चला गया. यहीं से उसने पढ़ाई लिखाई की. बताया जाता है कि पहले वह रेलवे स्टेशन के काउंटर की दलाली करता था और उसकी गिरफ्तारी भी एक बार यहीं हुई थी. हालांकि इसके बाद वह कहां गया गांव के लोगों को मालूम नहीं है, लेकिन उसके गायब होने के बाद परिवार में धन की बारिश होने लगी. इसी धन से पिता जमीरुल हसन ने कस्बे में मार्ट व रिहायशी आवास तथा मार्केट बनवा दिया. वह अपना काम छोड़ अपनी संपत्तियों की देखरेख करते हैं.
बढ़ती गई संपत्ति
हामिद के पिता जमीरुल हसन ने वर्तमान में तीन मंजिला मार्ट का निर्माण कराया है. वहीं दो मंजिला रिहायशी बिल्डिंग व 20 कमरों वाला एक मार्केट निर्माणाधीन है. कस्बा व गांव के अलावा महानगरों में खुद व रिश्तेदारों के नाम पर तमाम जमीन भी है. इसका सही आकलन कोई नहीं लगा पा रहा है. हामिद का पालन पोषण सामान्य परिस्थितियों में हुआ. इसके पिता जमीरुल हसन चूड़ी की दुकानदारी से परिवार का पेट भरने में मुश्किलें देखकर पटरा बल्ली की दुकान खोल कर शटरिंग का काम करने लगे. इस काम में ही वह जुटे रहते थे. मगर पिछले तीन वर्ष से वे सब कुछ छोड़ जमीन खरीदने में जुट गए.