शिमला : भारत पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध को अब 26 जुलाई को 21 साल पूरे होने वाले हैं. ऐसे में हर साल की तरह इस साल भी कारगिल विजय दिवस का आयोजन किया जाएगा. जिसमें कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाएगी.
वहीं, कारगिल युद्ध में 18 ग्रेनेडियर के ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने भी इस युद्ध में अपनी अहम भूमिका निभाई. ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह ठाकुर का कहना है कि माइनस डिग्री तापमान में पथरीली सी चढ़ाई और छिपने के लिए एक घास का तिनका भी नहीं. ऑक्सीजन कम और दुश्मन 18,000 फीट की ऊंचाई पर बैठा था, लेकिन मन में एक ही जज्बा था कि दुश्मन को अपनी जमीन से खदेड़ कर फतह हासिल करना है.
इसी जज्बे को दिल में लिए अठारह ग्रेनेडियर के जवान आगे बढ़े और दुश्मन को खदेड़ कर तोलोलिंग की चोटी पर भारत का तिरंगा फहराया. इसी तरह से टाइगर हिल को भी फतह किया. 18 ग्रेनेडियर यूनिट का नेतृत्व करने वाले और कारगिल युद्ध के हीरो सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि मैं आज भी उन हालातों के बारे में सोचते हैं तो सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. युद्ध में एक पल ऐसा नहीं था जब जवान डगमगाए हो.
कारगिल युद्ध को आज 21 साल पूरे हो गए लेकिन ऐसा लगता है मानो कल की ही बात है. साल 1999 में जब 18 ग्रेनेडियर यूनिट को कारगिल युद्ध में जाने के आदेश हुए तो पूरी यूनिट के नौ सौ के करीब जवान 15 मई को अन्य यूनिट के जवानों के साथ चोटी पर घात लगाकर बैठे घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए पहुंच गए.
तोलोलिंग को दुश्मनों के कब्जे से छुड़ाकर वहां पर अपना तिरंगा फहराया था. हल्की बर्फबारी और तेज हवाओं के साथ दुश्मनों की गोलियों का जवाब देते हुए उनकी टीम ने सबसे पहले चोटी को फतह किया. इस युद्ध में जवान दिन को छोटे छोटे पत्थरों के नीचे छिपे थे और वहां से दुश्मनों की हर हरकत पर नजर रखते थे.