हैदराबाद/रांचीः झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य में कोविड 19 के खिलाफ सरकार की असमर्थता से थोड़ा भय पैदा हुआ है लेकिन संकट की इस घड़ी में भाजपा के कार्यकर्ता भी साथ खड़े हैं. गरीबों को राशन पहुंचाने से लेकर क्वारंटाइन सेंटर तक राहत देने का काम कर रहे हैं.
बाबूलाल ने कहा कि समय-समय पर राज्य के मुख्यमंत्री को सुझाव देते रहते हैं. उस पर अमल भी हो रहा है लेकिन उसमें थोड़ी देरी होती है क्योंकि उन्हें लगता है कि क्रेडिट हमें मिल जाएगा. ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रजमोहन सिंह ने उनसे झारखंड की आर्थिक स्थिति, रोजगार, पलायन और सरयू राय की वापसी सहित कई मुद्दों पर चर्चा की.
निजी अस्पतालों की जिम्मेदारी
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों की तरह निजी अस्पतालों को भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. देशभर में बड़े-बड़े अस्पताल हैं लेकिन कोविड19 की जांच में कहां चले गए, ये दुखद स्थिति है. निजी अस्पतालों को सामने आना चाहिए और सरकार को भी निर्देशित करना चाहिए ताकि कोविड 19 की जांच हो सके. ऐसे अस्पतालों को लेकर राज्य और केंद्र सरकार दोनों को पहल करना चाहिए.
स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल
झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं. लोगों को बुखार की दवा लाने के लिए भी कई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है. इस सवाल पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाने के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने भी काफी प्रयास किया है. हजारीबाग, दुमका और पलामू में मेडिकल कॉलेज बन रहा है. देवघर में एम्स का निर्माण चल रहा है. ये ठीक से चालू हो गया तो समस्याएं कम होगी. हालांकि सरकार बदलने और लॉकडाउन के चलते थोड़ी देर होगी. यदि सब सुचारू हो गया तो दूरदराज के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड की आर्थिक स्थिति ही नहीं बल्कि पूरे देश की आर्थिक स्थिति गड़बड़ हो चुकी है. केंद्र सरकार मदद कर रही है जिसे हासिल करने के लिए राज्य को बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए. झारखंड में भी उद्योग-धंधे बंद है. ऐसा प्रतीत नहीं होता कि राज्य सरकार ने कोई प्राथमिकता तय की है.