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खास बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री बोले- श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए सेना लगाए सरकार

पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे यशवंत सिन्हा ने ईटीवी भारत के रीजनल न्यूज कोआर्डिनेटर ब्रजमोहन से बातचीत करते हुए कहा है कि यदि नरेंद्र मोदी सरकार ने ठीक से प्रबंध किया होता तो श्रमिकों की ऐसी समस्या नहीं होती.

यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा

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Published : May 18, 2020, 4:52 PM IST

Updated : May 18, 2020, 6:34 PM IST

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे यशवंत सिन्हा ने केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है. श्रमिकों को उनके घर न भेजे जाने की मांग को लेकर सिन्हा आज राजधानी स्थित राजघाट पर धरना दे रहे हैं. उनका कहना है कि यदि नरेंद्र मोदी सरकार ने ठीक से प्रबंध किया होता तो श्रमिकों की ऐसी समस्या नहीं होती.

इस मामले को लेकर ईटीवी भारत के रीजनल न्यूज कोआर्डिनेटर ब्रजमोहन ने यशवंत सिंहा से बात की. प्रस्तुत हैं वार्ता के प्रमुख अंश...

प्रश्न : इस वक्त हजारों की संख्या में श्रमिक राजमार्गों पर पैदल यात्रा करने को मजबूर हैं. स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. इस स्थिति को कैसे देखते हैं आप?

उत्तर : सबसे ह्रदयविदारक जो दृश्य देखने को मिल रहा है पिछले कुछ हफ्तों से वह है अपने गांव पहुंचने के लिए सड़कों पर पैदल चलने को मजबूर श्रमिकों का. सरकार ने जो व्यवस्था की है अभी तक वह नाकाफी है. आज हमलोग राजघाट पर धरने पर बैठे हैं केवल एक मांग को लेकर कि भारत सरकार तत्काल देश की सेना और अन्य पैरा मिलिट्री बलों यह निर्देश दे कि वह सभी संसाधनों का उपयोग करके मजदूरों को उनके घर ससम्मान पहुंचाएं.

प्रश्न : आपको क्या लगता है कि अब तक जो कोशिशें की गई हैं वह पर्याप्त नहीं हैं?

उत्तर : नहीं, क्योंकि भारत सरकार ने इच्छाशक्ति नहीं दिखाई. इसीलिए इतने सारे हफ्ते गुजर गए और हम ह्रदय को चीरने वाले दृश्य देखते हैं मजदूरों के विषय में. मेरा मानना है कि यदि भारत सरकार चाहे तो 24 घंटे के भीतर श्रमिक सड़कों से हट जाएंगे और ससम्मान अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो जाएंगे.

ईटीवी भारत से बात करते यशवंत सिन्हा

प्रश्न : सिन्हा साहब आप वित्तमंत्री भी रहे हैं देश के. जो पैकेज सरकार द्वारा दिया गया है, उसका विरोध इसलिए हो रहा है कि किसानों और मजदूरों को इसका सीधा लाभ नहीं मिल रहा?

उत्तर : मैं आज उस पैकेज पर कोई बात नहीं करना चाहूंगा. जब हम राजघाट आए तो हमें दो मजदूर सिर पर बोझ लाद कर जाते दिखे. जब उनको बुलाकर हम लोगों ने बात की, तो उन्होंने कहा कि वह अपने राज्य बंगाल पैदल जा रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि उन्हें इक्कीस लाख के पैकेज में क्या मिला, तो उन्होंने कहा हमें कुछ नहीं मिला. आप किसी भी मजदूर से पूछिए, वह यही कहेगा कि उसे कुछ नहीं मिला.

प्रश्न : जो मजदूर जा रहे हैं, उन्हें राज्यों की ओर से भी कोई खास मदद नहीं मिल रही. पुलिस उनको आगे बढ़ा देती ?

उत्तर : यह सही है, पर मैं आज ब्लेम गेम नहीं खेलना चाहता. दोनों सरकारों को मिलकर यह इंतजाम करना चाहिए कि मजदूर ससम्मान अपने घर पहुंच सकें. इसमें महत्वपूर्ण भूमिका भारत सरकार की है, क्योंकि भारत सरकार ही सेना को यह आदेश दे सकती है.

प्रश्न : जो मजदूर अपने घर पहुंच गए हैं, जीविकोपार्जन के लिए वहां उनके पास क्या है?

उत्तर : श्रमिकों को उनके क्षेत्र में ही काम देना चाहिए. मुझे खुशी है कि मनरेगा का जो टोटल एलोकेशन था उसको बढ़ाने के लिए वित्तमंत्री महोदया ने कहा है. यह अच्छी बात होगी कि मजदूरों को अपने क्षेत्र में काम मिल जाए.

प्रश्न : उद्योग को कब तक शुरू करना चाहिए? आपको क्या लगता है?

उत्तर : जब सारे मजदूर ही वहां से हट गए तो उद्योग चलाएगा कौन? इसलिए सरकार पूरी कोशिश करे तो भी उद्योग खुलने वाले नहीं हैं.

Last Updated : May 18, 2020, 6:34 PM IST

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