वाशिंगटन : भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा कि 'चीन की कार्रवाई, न सिर्फ भारत के साथ लगने वाली सीमा पर बल्कि दक्षिण चीन सागर, ताइवान जलडमरूमध्य और हांगकांग में भी, उकसाने और अस्थिर करने वाली है.
चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग समूचे हिस्से पर अपना दावा करता है जबकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ-कुछ हिस्सों पर अपना अधिकार जताते हैं. बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य संस्थापनों को निर्माण किया हुआ है.
वर्मा ने कहा कि हमारी साझेदारी का मुख्य स्तंभ अब मुक्त एवं स्वतंत्र हिंद-प्रशांत, विधि के शासन, अंतरराष्ट्रीय नियमों, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और एशिया में विधि आधारित क्रम के प्रति प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है.'अमेरिका सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की व्यापक भूमिका पर जोर देता रहा है.
भारत, अमेरिका और विश्व की कई अन्य शक्तियां क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य पैंतरेबाजी की पृष्ठभूमि में मुक्त, स्वतंत्र एवं संपन्न हिंद-प्रशांत चाहती हैं.
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वर्मा ने कहा, '1959 में सीनेटर केनेडी ने संसद में जोशपूर्ण भाषण दिया था कि, 'एशिया का भाग्य' भारत पर निर्भर करता है और भारत का 'विशेष महत्व' है .. जो पूरे एशिया में लोकतंत्र के परीक्षण का प्रतीक है.'