नई दिल्ली : अब जबकि यह तय हो चुका है कि जो बाइडेन ही अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे, एक भारतीय के लिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि वह भारत के लिए कितने बेहतर साबित होंगे. राजनयिकों का मानना है कि विदेश मामलों में बाइडेन ट्रंप की अपेक्षा ज्यादा नरम होंगे. वे विदेशी नागरिकों को वीजा देने के मामले में भी सख्त रुख नहीं अपनाएंगे. ट्रंप की वीजा नीति से भारतीयों पर असर पड़ रहा था.
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय अमेरिका में टॉप डिप्लोमेट रह चुकीं मीरा शंकर ने ईटीवी भारत को बताया कि बाइडेन ओबामा की नीति को ही आगे बढ़ाएंगे. वह चीन के आक्रामक रवैए से निपटने के लिए अपने सहयोगियों और इस क्षेत्र में अपने सैन्य बेसों को मजबूत करने पर जोर देंगे.
मीरा शंकर ने कहा, 'मुझे लगता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-अमेरिका की रणनीतिक दिशा और मजबूत होगी, क्योंकि यहां पर दोनों के हित समान हैं. चिंता की बात चीन की हठधर्मिता और उसका आक्रामक रवैया है, जिसे हमने लद्दाख में देखा है. यह आगे भी जारी रहेगा.'
रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर मीरा शंकर ने कहा कि राष्ट्रपति ओबामा ने ही भारत को प्रमुख रक्षा सहभागी का दर्जा दिया था, जिसे आगे की सरकार ने जारी रखा.
मीरा शंकर ने कहा कि हिलेरी क्लिंटन ने टू प्लस टू यानि विदेश और रक्षा मंत्रियों की दोनों देशों के बीच बातचीत का विचार दिया था. लेकिन तब भारत तैयार नहीं था.
उन्होंने जो बाइडेन की भूमिका पर कहा कि जॉर्ज बुश और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते में भी उनकी अहम भूमिका थी.