चमोली : ऋषिगंगा नदी में जो ग्लेशियर टूट कर गिरा था उसने सबसे पहले रैणी गांव के ठीक नीचे बने ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को तबाह किया था. ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में न सिर्फ 45 कर्मचारी काम करते थे, बल्कि उनके रहने की व्यवस्था भी यहीं की गई थी, लेकिन आज वहां ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट का नाम तक नहीं है. ईटीवी भारत की टीम हालात का जायजा लेने ग्राउंड जीरो पर पहुंची.
आपदा के बाद ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट और उसके आसपास के इलाके को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि यहां पर कभी 16 मेगावाट बिजली की उत्पादन हुआ करता था, जहां 45 कर्मचारी काम किया करते थे.
क्योंकि आज वो जगह मलबे में तब्दील हो गई है. ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट के आसपास जिधर भी नजर घूमती है, मलबा ही मलबा नजर आता है. वो सैलाब कितना भयानक रहा होगा इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नीति घाटी को जोड़ने वाला पुल भी उसमें तहस नहस हो गया. पुल में लगी लोहे की रॉड लकड़ी के तने की तरह मुड़ गई है.
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बीआरओ समेत अन्य रेस्क्यू टीमों को रैणी गांव तक पहुंचने में दिक्कतें आ रही हैं. बीआरओ को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह एक वैली ब्रिज तैयार करें, लेकिन वहां पर 20 से 30 मीटर मलबा पड़ा है. जिसे साफ करने में बीआरओ को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. बीआरओ तीन दिन से मलबा हटाने में लगा हुआ है. अभी तक वहां से तीन शव भी बरामद किए जा चुके हैं.