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दारा शिकोह की कब्र की पहचान के लिए क्यों बनाई गई है समिति, जानिए यहां

केंद्र सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय ने दारा शिकोह की कब्र पहचानने के लिए एक समिति गठित की है. इस समिति में मशहूर पुरातत्वविद केके मुहम्मद भी शामिल हैं. केके मुहम्मद अयोध्या के रामजन्म भूमि विवाद के दौरान हुए पुरातात्विक अध्ययन में भी शामिल रहे हैं. ईटीवी भारत के संवाददाता ने केके मुहम्मद से खास बातचीत की. हमने यह जानने की कोशिश की है कि दारा शिकोह की कब्र से जुड़ी समिति बनाए जाने की क्या वजहें हैं. देखें हमारी यह खास रिपोर्ट...

etv bharat exclusive interview with k k muhammed
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Published : Jun 2, 2020, 11:27 AM IST

Updated : Jun 2, 2020, 1:52 PM IST

कन्नूर (केरल) : मशहूर पुरातत्वविद केके मुहम्मद का कहना है कि भारत के इतिहास में दारा शिकोह का अहम स्थान है. केरल के कन्नूर में ईटीवी भारत संवाददाता सशींद्रन से खास बातचीत के दौरान केके मुहम्मद ने बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव दिया था, जिसमें उन्होंने शाहजहां के सबसे बड़े बेटे और मुगल सम्राट औरंगजेब के भाई, दारा शिकोह की कब्र की पहचान किए जाने का जिक्र किया था.

केके मुहम्मद ने बताया कि उनके प्रस्ताव के बाद केंद्र सरकार ने दारा शिकोह की कब्र की पहचान के लिए एक समिति गठित की है. उन्होंने बताया कि दारा शिकोह की कब्र उन 140 कब्रों में से एक है, जो दिल्ली में हुमायूं के मकबरे के परिसर में दफन हैं.

उन्होंने कहा कि दारा शिकोह को कैसे पकड़ा गया, जेल में डाला गया और फिर सिर कलम किया गया, इस संबंध में कई साक्ष्य मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि दारा शिकोह के बारे में कई विदेशी यात्रियों ने भी उल्लेखनीय बातें लिखी हैं.

केके मुहम्मद से हुई बातचीत

बकौल केके मुहम्मद, हुमायूं के मकबरे में 140 से अधिक कब्रें हैं, इसमें से कौन सी कब्र दारा शिकोह की है, इसकी पहचान आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेक्षण में की जाएगी.

उन्होंने कहा कि कब्र की पहचान के लिए कई अन्य तकनीकें भी हैं, जिसकी मदद से हम दारा शिकोह की कब्र की पहचान करेंगे.

मुहम्मद ने कहा कि पारंपरिक रूप से हुमायूं के मकबरे के परिसर में दफन दारा शिकोह की एक कब्र को चिह्नित किया गया है, लेकिन वास्तविक रूप से यही दारा शिकोह की कब्र है या नहीं, इसकी पहचान कैसे की जाए? इसी बात का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित की गई है.

उन्होंने बताया कि मैंने इस संबंध में एक प्रस्ताव दिया है कि कब्र के एक्स-रे से इस बात का पता लगाया जा सकता है. ऐसा करने के पीछे के क्या कारण है, इस सवाल पर केके मुहम्मद ने कहा कि किसी अन्य मुगल शहजादे का सिर कलम नहीं किया गया था.

दारा शिकोह की कब्र की प्रमाणिक पहचान से जुड़े सवाल पर केके मुहम्मद ने कहा कि एक्स-रे से इस बात का पता लगाया जा सकता है, क्योंकि अन्य कब्रों में दफन किए गए लोगों के सिर कलम नहीं किए गए थे, और जिस कब्र में बिना सिर का शव दफन होगा, वही दारा शिकोह की कब्र की प्रमाणिक पहचान होगी.

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार को उन्होंने यह प्रस्ताव दिया है. इसके लिए सरकार एक वैज्ञानिक समिति बनाएगी. इसमें ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सर्वे (जीपीआर) या एक्स-रे सर्वे जैसी तकनीक की मदद से यह पता लगाया जा सके.

केके मुहम्मद ने कहा कि साइंटिफिक कमेटी इस बात को तय करेगी कि कौन सी तकनीक सर्वे के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होगी.

दारा शिकोह के व्यक्तित्व के बारे में केके मुहम्मद ने कहा कि दारा ने कभी किसी एक धर्म का प्रचार नहीं किया. वह हमेशा सभी धर्मों को मानते थे और सभी का बराबर सम्मान भी करते थे.

मुहम्मद ने कहा कि दारा शिकोह ने गीता और उपनिषद से लेकर योग वशिष्ठ तक का अनुवाद किया है, जिसे आज हम सभी पढ़ते हैं. इसलिए उस व्यक्ति के महत्व को समझना बेहद जरूरी है.

मुगल इतिहास के पन्ने पलटें तो पता चलता है कि औरंगजेब ने दारा शिकोह को मौत के घाट उतारने का हुक्म दिया था. इस पर अमल करते हुए औरंगजेब के सैनिकों ने दारा शिकोह का सिर धड़ से अलग कर दिया.

इसके बाद औरंगजेब ने आगरा के किले में कैद अपने पिता शाहजहां को दारा का कटा हुआ सिर तोहफे के रूप में भिजवाया.

औरंगजेब ने इसके बाद दारा शिकोह के सिर को ताज महल के प्रांगड़ में दफनाने का हुक्म दिया. उनका मानना था कि जब-जब शाहजहां की नजर मुमताज के मकबरे पर जाएंगी, तब-तब उन्हें यह ख्याल आएगा कि उनके सबसे बड़े बेटे का सिर भी वहीं दफन रहा है.

Last Updated : Jun 2, 2020, 1:52 PM IST

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