श्रीनगर :जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर की रहने वाली साइमा शफी पेशे से सरकारी जूनियर इंजीनियर (जेई) हैं. कुछ साल पहले उन्होंने अपने परिवार के साथ चंडीगढ़ का दौरा किया था. जहां उन्होंने एक ब्रांडेड शोरूम में सुंदर मिट्टी के बर्तन देखे, जिनकी कीमत हजारों में थी, लेकिन मिट्टी के बर्तनों की सुंदरता से साइमा कुछ इस कदर कायल हुईं कि वह उनकी अलग ही दुनिया को बनाने में जुट गईं.
साइमा बताती हैं कि बर्तन काफी महंगे थे, इस कारण उन्होंने सिर्फ एक बर्तन ही खरीदा. उसी समय साइमा को कश्मीर के क्राल समुदाय का खयाल आया. यह समुदाय हजारों वर्षों से मिट्टी के बर्तन बनाता रहा है, लेकिन इनकी कला आधुनिकता के दौर में दम तोड़ चुकी है. कश्मीर वापसी के बाद बेंगलुरु जाकर आधुनिक तरीके से मिट्टी के बर्तन बनाना सीखे. अब कश्मीर में वह क्राल समुदाय को यह कला मुफ्त में सिखा रही हैं. बता दें कि अब तक इस कला को तीन सौ से अधिक लोग सीख चुके हैं.
सोशल नेटवर्किंग साइटों पर हुई खूब प्रशंसा
साइमा कहती हैं कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के खत्म होने से करीब एक हफ्ते पहले अपना काम शुरू किया था. जिसके बाद सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उनकी प्रशंसा की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार का यह फैसला बाद में यहां लगाए गए प्रतिबंधों के कारण, उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.