नई दिल्ली : जहां एक तरफ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के वह जवान, जो कोरोना संक्रमित पाए गए थे, वह अब ठीक होने के बाद प्लाज्मा दान कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर अर्धसैनिकबलों में कोविड-19 संक्रमण के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. अब तक कोरोना से सीएपीएफ के कुल 27 जवानों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 18 मौतें जून के महीने में हुई हैं.
इतना ही नहीं कोरोना से संक्रमित CAPF जवानों की संख्या 4800 के पार हो चुकी है. इनमें 1,905 एक्टिव केस शामिल हैं.
मीडिया द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार महामारी के कारण सबसे ज्यादा मौतें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा दर्ज की गई हैं. जून के महीने में ही घातक संक्रमण के कारण नौ जवानों की मौत हो गई.
सीआरपीएफ में कोरोना के फिलहाल 1,510 मामले हैं. इनमें से 755 केस एक्टिव हैं.
CRPF के बाद CISF जवानों की कोरोना के कारण सबसे अधिक मौत हुई हैं. इनमें से 50 फीसदी की मौत जून में हुई हैं. CISF में बीते रविवार तक 1,021 मामले सामने आए, जिनमें से 38 प्रतिशत सक्रिय हैं.
इसी तरह सीएपीएफ में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में कोरोना संक्रमण के दूसरे सबसे अधिक मामले हैं. हालांकि मरने वालों की कुल संख्या अन्य दो अर्ध-सैन्य बलों की तुलना में कम थी
बीएसएफ में कुल मामले 1,300 का आंकड़ा पार कर चुके हैं और अब तक पांच मौतें हो चुकी हैं, जिनमें से तीन की मौत पिछले महीने हुई है. वर्तमान में बीएसएफ में कोरोना के 526 केस मौजूद हैं.
अगर बात की जाए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की तो उसमें 425 मामले दर्ज हुए हैं इनमें से 151 अभी भी एक्टिव हैं.
कोरोना के कारण तीन ITBP जवानों ने अपनी जान गंवाई. इनमें से दो जवानों की मौत जून में हुई.
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सशस्त्र सीमा बल (SSB) कोविड-19 से सबसे कम प्रभावित है. कोरोना के कारण केवल दो एसएसबी जवानों ने अपनी जान गंवाई है और दोनों ही जवानों की मौत जून के महीने में हुई. अब तक एसएसबी ने 153 मामले दर्ज किए हैं . इनमें केवल 26 ही सक्रिय हैं. बाकी संक्रमित जवानों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह अब पूरी तरह से फिट हैं.
फिलहाल राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (NDRF) में पिछले कुछ हफ्तों में कोरोना संक्रमण के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है. विभिन्न स्थानों पर तैनात NDRF के कुल 249 जवानों का परीक्षण सकारात्मक पाया गया है और लगभग 100 मामले सक्रिय हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) में सभी अर्धसैनिक बलों के बीच कम से कम मामले (75) हैं और केवल 10 प्रतिशत सक्रिय मामले हैं जबकि 90 प्रतिशत जवान ठीक हो गए हैं और बल में शामिल होने के लिए फिट हैं.