देहरादून : उत्तराखंड में टैक्स चोरी का बड़ा मामला सामने आया है. वित्त सचिव अमित नेगी के निर्देश पर जीएसटी देहरादून की 55 टीमों ने प्रदेश के 70 व्यापार स्थलों पर छापा मारकर करीब आठ हजार करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का खुलासा किया है.
जीएसटी टीमों की जांच में सामने आया कि कुछ व्यापारी फर्जी तरीके से पंजीयन कराकर ईवे बिल के जरिये करोड़ों रुपये का कारोबार कर रहे थे. हालांकि, इस घोटाले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.
केंद्र और राज्य की संयुक्त जीएसटी टीम पिछले दो महीने ने प्रदेश में अभियान चला रही थी. इस अभियान के बाद टैक्स चोरी के जो आंकड़े सामने आए, वो बेहद चौंकाने वाले हैं. इन आंकड़ों को देखकर उत्तराखंड की जीएसटी आयुक्त सौजन्या भी हैरत में पड़ गईं.
उत्तराखंड में टैक्स चोरी की जानकारी देतीं जीेएसटी आयुक्त सौजन्या. पढ़ें- नोएडा: चालान और टोल टैक्स से बचने के लिए लगाई नकली नंबर प्लेट, अरेस्ट
जीएसटी आयुक्त की मानें तो उत्तराखंड में टैक्स चोरी का एक बड़ा खेल खेला जा रहा था. टीम ने प्रदेश में टैक्स चोरी करने वाले कई व्यापारियों को चिह्नित किया है, जो करीब 70 से ज्यादा फर्म और कम्पनियां बनाकर ईवे बिल जनरेट कर रहे थे. ये लोग सरकार को अब तक करीब आठ हजार करोड़ रुपये का चूना लगा चुके हैं.
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GST आयुक्त के मुताबिक, उनकी टीम इन फर्जी कम्पनियों पर पिछले दो महीने से नजर रखे हुए थी. इन कम्पनियों के मालिक अलग-अलग नामों से ये कम्पनियां और फर्म चला रहे थे. इतना ही नहीं, उन्होंने फर्जी फर्म बनाने के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट भी तैयार किए थे.
जांच में सामने आया है कि 70 में से 34 कम्पनियां दिल्ली से मशीनरी और कम्पाउंड दोनों की खरीद के ईवे बिल बना रही थीं, जिनका भुगतान लगभग 1200 करोड़ रुपये है. ये कम्पनियां आपस में खरीद व बिक्री दिखा रही थीं. इस तरह ये फर्म टैक्स चोरी कर रही थी. बता दें कि जीएसटी चोरी का उत्तराखंड में ये अब तक का सबसे बड़ा मामला है.