नई दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को ‘कार्बन न्यूट्रल’ क्षेत्र बनाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. कार्बन न्यूट्रल का तात्पर्य वातावरण में कार्बन उत्सर्जन और उसके अवशोषित होने के बीच संतुलन स्थापित करने से है. ये महत्वपूर्ण है, क्योंकि ग्रीन हाऊस गैस या कार्बन उत्सर्जन जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है.
देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, 'जिस प्रकार से सिक्किम ने ऑर्गेनिक (जैविक) राज्य के रूप में अपनी पहचान बनाई है, वैसे ही आने वाले दिनों में लद्दाख अपनी पहचान एक कार्बन न्यूट्रल क्षेत्र के तौर पर बनाए, इस दिशा में भी तेजी से काम हो रहा है.' उन्होंने ये भी कहा कि, हिमालय की ऊंचाइयों में बसा लद्दाख आज विकास की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे बढ़ रहा है. गौरतलब है कि, साल 2003 में सिक्किम जैविक कृषि अपनाने की घोषणा करने वाला पहला राज्य बना, जिससे कार्बन के असर को कम करने में मदद मिली.
7500 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र
पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि, सिक्किम ने रासायनिक खाद मंगाना बंद कर दिया और उसके बाद से खेती वाली जमीन वास्तव में जैविक है, जहां किसान जैविक खाद का उपयोग करते हैं. साल 2018 में पूर्वोत्तर के इस राज्य ने खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) का 'फ्यूचर पॉलिसी एवार्ड' जीता था. वहीं, लद्दाख में वायु और सौर ऊर्जा से जुड़ी कई परियोजनाओं आगे बढ़ाई जा रही हैं. इनमें 7500 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र आने वाला है, जिससे केंद्र शासित प्रदेश में कार्बन के प्रभाव में काफी कमी आने की उम्मीद है. इसके साथ ही ये 'कार्बन न्यूट्रल' बनने में योगदान करेगा.