काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि उन्हें पद से हटाने की कोशिशें की जा रही हैं. काठमांडू पोस्ट में छपी खबर के मुताबिक पीएम ओली ने एक स्थानीय कार्यक्रम में संबोधित करते हुए रविवार को कहा, 'देश के नए नक्शे को जारी करने और संसद से इसे पारित कराए जाने के बाद मुझे पद से हटाने की कोशिश की जा रही है.' मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रविवार को ओली ने कहा, 'काठमांडू के अलग-अलग होटलों में हो रही बैठकें, बैठकों में हो रही बौद्धिक चर्चाएं, नई दिल्ली से आ रही रिपोर्ट्स और (भारतीय) दूतावास की गतिविधियों को देखते हुए यह समझना बहुत मुश्किल नहीं है कि लोग मुझे कैसे पद से हटाने की कोशिश कर रहे हैं.' हालांकि ओली ने कहा है कि उन्हें पद से हटाने की जुगत में लगे लोग सफल नहीं होंगे. गौरतलब है कि नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे में तीन भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है. इनमें रणनीतिक रूप से प्रमुख जगहें- लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को शामिल हैं. हालांकि भारत ने नेपाल के नए नक्शे को खारिज कर दिया है.
बता दें कि नेपाल की राजनीति से जुड़ी अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में भी यह बातें सामने आई हैं कि प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ देश में भी असंतोष बढ़ रहा है. माना जा रहा है कि बढ़ते असंतोष से घबराए ओली ने भारत पर आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं. अपनी पार्टी के भीतर से ही उठ रहे असंतोष को स्वरों को रोक पाने में नाकाम रहे ओली ने अब यह नया दांव चला है.
बता दें कि कई दिन से नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति की बैठक चल रही है. बैठक के दौरान भारत के साथ सीमा विवाद और 50 करोड़ डॉलर के प्रस्तावित अमेरिकी अनुदान सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की 44 सदस्यीय स्थायी समिति में उनके साथ 15 सदस्य ही हैं. यह समिति मांग कर रही है कि ओली या तो प्रधानमंत्री पद छोड़े अथवा पार्टी अध्यक्ष पद. एक व्यक्ति दो पद की व्यवस्था अब नहीं चलेगी. इससे पहले गत सप्ताह प्रधानमंत्री ओली और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड समेत उनके प्रतिद्वंद्वियों के बीच स्थाई समिति की बैठक में मतभेद खुल कर सामने आ गए थे.
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नाम न बताने की शर्त पर सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ओली का संकेत सत्तारूढ़ पार्टी के अंदर उनके विरोधियों के लिए था न कि किसी बाहरी के लिए. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी में मतभेद बढ़ रहे हैं और प्रधानमंत्री को उन्हीं की पार्टी में किनारे किया जा रहा है और उनके ही साथी सरकार के प्रदर्शन की आलोचना कर रहे हैं.