दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

वित्त मंत्रालय में मीडिया पर 'पाबंदी' से सीतारमण का इनकार, गिल्ड ने कहा 'मनमाना फैसला' - freedom of press

केंद्र सरकार का वित्त मंत्रालय एडिटर्स गिल्ड के निशाने पर है. देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यकाल में उनके मंत्रालय में मीडिया कर्मियों के मुक्त प्रवेश पर अंकुश लगता दिख रहा है. इसी मुद्दे को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने एक बयान जारी कर सरकार के फैसले को 'मनमाना' करार दिया है. जानें पूरा मामला...

वित्त मंत्री सीतारमण और एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष शेखर गुप्ता

By

Published : Jul 11, 2019, 7:51 AM IST

Updated : Jul 11, 2019, 1:09 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते पांच जुलाई को बजट पेश किया. पदभार संभालने के बाद उन्होंने बजट को पुराने 'ब्रीफकेस से आजाद' कर सुर्खियां भी बटोरीं. एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भी इसे 'पश्चिमी गुलामी से आजाद' होने की संज्ञा भी दी. हालांकि, अब मीडिया जगत वित्त मंत्री सीतारमण के कार्यालय में प्रवेश के लिए लागू किए गए कुछ शर्तों से क्षुब्ध है.

दरअसल, बजट पेश करने से कुछ दिन पहले वित्त मंत्रालय में पत्रकारों के प्रवेश पर पाबंदी लगाती है. तकनीकी भाषा में इसे quarantine कहा जाता है. लोकसभा में बजट पारित होने के बाद ये पाबंदी हटा ली जाती है. हालांकि, इस बार ऐसा नहीं हुआ है. इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंत्रालय के बाहर पत्रकारों के साथ बैठक भी की थीं.

वित्त मंत्रालय के बाहर पत्रकारों के साथ बैठक (साभार ट्विटर- @nsitharamanoffc)

एडिटर्स गिल्ड ने इस संबंध में एक पत्र लिख कर सरकार की आलोचना की है. एक पत्र में गिल्ड ने सरकार के फैसले को मीडिया की आजादी का गला घोंटना करार दिया. गिल्ड ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से यह ‘मनमाना फैसला’ वापस लेने की अपील की.

गौरतलब है कि सरकारी मान्यता प्राप्त पत्रकारों से कहा गया है कि उन्हें जिस अधिकारी से मिलना हो, उससे मिलने का समय पहले ही ले लें वरना प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.

इसके बाद गिल्ड ने एक बयान जारी किया. इसमें कहा गया कि मंत्रालय से इस बाबत उसका कोई विवाद नहीं है, कि पत्रकारों को वित्त मंत्रालय में मौजूद रहने के दौरान संयम और जिम्मेदारी से काम लेना चाहिए, लेकिन कोई सीधा-सपाट आदेश इसका जवाब नहीं है.

वित्त मंत्रालय के फैसले पर गिल्ड की प्रतिक्रिया (साभार ट्विटर- @IndEditorsGuild)

एडिटर्स गिल्ड ने कहा, ‘पत्रकार आरामतलबी और स्वागत सत्कार के लिए सरकारी दफ्तरों में नहीं जाते. वे खबरें इकट्ठा करने का अपना चुनौतीपूर्ण काम करने के लिए वहां जाते हैं. यह आदेश मीडिया की आजादी का गला घोंटना है.'
बकौल गिल्ड 'इससे (सरकार के फैसले से) भारत वैश्विक प्रेस आजादी की रैंकिंग में और नीचे जा सकता है, खासकर इसलिए क्योंकि यह प्रवृति दूसरे मंत्रालयों में भी आसानी से फैल सकती है.'

बता दें कि विश्व के 180 देशों में प्रेस की आजादी की रैंकिंग के मामले में भारत 140वें स्थान पर है. यै रैंकिंग एक निजी संस्था ने प्रकाशित की है. 2018 में भारत इसी रैंकिंग के मुताबिक 138वें स्थान पर था.

गिल्ड ने कहा कि यदि वित्त मंत्री को लगता है कि सरकारी दफ्तरों में पत्रकारों के प्रवेश से कोई असुविधा हो रही है, तो पत्रकारों से बातचीत कर व्यवस्था में सुधार किया जा सकता है. वित्त मंत्री अपने फैसले पर फिर से विचार करें और इसे वापस लें.

ये भी पढ़ें: वित्त मंत्रालय में बिना एप्वाइंटमेंट पत्रकारों की 'नो-एंट्री', एडिटर्स गिल्ड ने बताया 'गला घोंटना'

बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने नॉर्थ ब्लॉक में मीडिया कर्मियों के खुलेआम प्रवेश पर रोक लगा दी है. फिलहाल सिर्फ वैसे पत्रकारों को अंदर जाने दिया जा रहा है, जिन्होंने पहले से अधिकारियों से मिलने का समय ले रखा है. आम तौर से ये पत्रकार प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) से मान्यता प्राप्त होते हैं.

हालांकि, इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यालय से एक स्पष्टीकरण जारी किया गया है. पत्र में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय के भीतर मीडिया कर्मियों के प्रवेश के संबंध में एक प्रक्रिया तय की गयी है. मंत्रालय में पत्रकारों के प्रवेश पर कोई ‘प्रतिबंध नहीं है.’

वित्त मंत्रालय के बाहर पत्रकारों के साथ बैठक (साभार- ट्विटर @nsitharamanoffc)

जानकारी के मुताबिक संसद में बजट पेश होने के बाद quarantine हटा ली जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पत्रकारों का कहना है कि मंत्रालय के गेट पर तैनात गार्ड बिना अप्वाइंटमेंट के पत्रकारों को भीतर नहीं जाने दे रहे हैं. यहां तक कि पीआईबी कार्ड धारक मान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी रोका जा रहा है.

इस संबंध में पत्रकारों की चिंता और सोशल मीडिया पर चर्चा भी देखी गई. वहीं, पत्रकारों पर लगाई गई इस पाबंदी पर विपक्षी पार्टियां मुखर हो गई हैं.

सूत्रों के मुताबिक 16 विपक्षी पार्टियों ने मीडिया की स्वतंत्रता पर एक छोटी बहस के लिए राज्यसभा अध्यक्ष एम वेंकैया नायडू को नोटिस भी दिया है.

इस नोटिस पर सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाले नेशलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार हैं. हालांकि, राज्यसभा में इस नोटिस को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है, लेकिन विपक्षी पार्टियां अगले हफ्ते इस पर बहस कराने के लिए दबाव बना रही हैं.

सूत्रों के मुताबिक इस नोटिस में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी हस्ताक्षर किए हैं. नोटिस के समर्थन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत कई क्षेत्रीय दल भी हैं.

एक नजर नोटिस का समर्थन करने वाली अन्य पार्टियों पर:

  1. राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
  2. समाजवादी पार्टी
  3. बहुजन समाज पार्टी (BSP)
  4. आम आदमी पार्टी (AAP)
  5. सीपीआई
  6. पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP)
  7. सीपीआई(एम)
  8. डीएमके
  9. केरल कांग्रेस (एम)
  10. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल)

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के कुछ अन्य मंत्रालयों में जाने के लिए भी पहले से अनुमति लेने का प्रावधान है. हालांकि, इनमें केवल प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय समेत खुफिया एवं नियामकी विभाग शामिल हैं,

बता दें कि, प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के तहत आता है. MIB की वेबसाइट पर मौजूद 'दी सेंट्रल न्यूज मीडिया एक्रेडिटेशन, 1999' के बिंदु 4.8 के अनुसार, मान्यता (accreditation) की परिभाषा भारत सरकार में सूचना के सूत्र और इसके साथ ही पीआईबी या भारत सरकार की अन्य एजेंसियों द्वारा जारी लिखित या प्रकाशित तक पहुंच होती है.

पत्रकारों की मान्यता के संबंध में पीआईबी की नियमावली का अंश

पीआईबी मान्यता प्राप्त कार्ड गृह मंत्रालय के सुरक्षा जोन के तहत आने वाली भवनों में प्रवेश के लिए मान्य होता है. इसकी मदद से विभिन्न मंत्रालयों वाले लगभग सभी सरकारी भवनों में पीआईबी मान्यता प्राप्त पत्रकारों को बिना किसी परेशानी के प्रवेश मिल जाती है. मुख्य रूप से इन भवनों में उद्योग भवन, निर्माण भवन और नीति आयोग शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया आम बजट-2019, पढ़ें पूरा विवरण

बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान इसी साल एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया गया था. अंतरिम बजट के दौरान भी वित्त मंत्रालय ने 3 दिसंबर, 2018 से ही पत्रकारों की पहुंच पर पाबंदी (quarantine) लगा दी थी.

बाद में 2 फरवरी, 2019 को तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में अंतरिम बजट पेश किया था.गोयल के बजट पेश करने के बाद quarantine हटा लिया गया था.

जानकारी के मुताबिक प्रवेश पर पाबंदी लगाने वाला आदेश (quarantine) वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के बजट विभाग द्वारा जारी किया जाता है.

गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय का कार्यालय रायसीना हिल्स पर नॉर्थ ब्लॉक में है. पुरानी परंपरा के तहत मंत्रालय सिर्फ बजट पेश होने से दो महीने पहले तक मीडिया की पहुंच से दूर रहता है. इसका मकसद बजट की गोपनीयता बनाए रखना है.

Last Updated : Jul 11, 2019, 1:09 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details