बीस साल पहले जब सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की थी, तो उस समय देश के पांच बच्चों में से एक बच्चा प्राथमिक स्कूल नहीं जाता था. आज हमारे बच्चों में से 99% स्कूलों में पंजीकृत हैं और यह बेहतर शिक्षा व्यवस्था को बनाने की तरफ एक बड़ा कदम है. दुर्भाग्यवश स्कूलों तक इस पहुंच के आंकड़े से जो शैक्षिक लक्ष्य हासिल होने थे, वो नहीं हो सके हैं.
यह एक तथ्य है कि जो लोग अपने शुरुआती दिनों में बुनियादी कौशल नहीं सीखते हैं, वह अधिकतर भविष्य में पिछड़ जाते हैं और पढ़ाई की प्रणाली से भी बाहर हो जाते हैं. अच्छी शिक्षा खासतौर पर बुनियादी शिक्षा, मानव और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है. पिछले लगभग तीस साल में पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में बदलाव के लिए तैयार मसौदे में मौजूदा समय में शिक्षा क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर अर्ली चाइल्डहुड लर्निंग (ईसीई) और फाउडेशनल लर्निंग (एफएलएन) को माना गया है. एनईपी में कहा गया है कि हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए कि 2025 तक प्राइमरी स्कूल और उससे आगे के स्तर पर युनिवर्सल फाउंडेशनल लिट्रेसी और न्यूमरेसी को हासिल करना. ज्यादातर छात्रों के लिए बाकी की नीति बेमानी साबित होगी अगर पहले यह बुनियादी शिक्षा (पढ़ाई, लिखाई और गणित) हासिल नहीं होती है.
एनईपी में एफएलएन पर दिया गया यह जोर केंद्र द्वारा सही दिशानिर्देश बनाकर उन्हें राज्यों के साथ साझा करने में कारगर साबित हो सकता है. इसके कारण राज्य अपने यहां अपनी जरूरतों के हिसाब से एफएलएन कार्यक्रम चला सकते हैं, बल्कि अब केंद्र सरकार को बिना देरी किए एनईपी के इस मसौदे को कानूनी रूप देकर इसकी सिफारिशों को अपना लेना चाहिए. बुनियादी शिक्षा को लेकर केंद्र सरकार को एक समयबद्ध रणनीति बनाकर काम करने और राज्य सरकारों को आर्थिक मदद देकर अपने राज्यों में अपने कार्यक्रम बनाने में मदद करने की जरूरत है.
शुरुआत के लिए सभी छात्रों को कक्षा तीन तक पढ़ना सीख जाना चाहिए, क्योंकि यह जीवनभर के लिए सीखने में काम आने वाला हिस्सा है. सेंट्रल स्कॉयर फाउंडेशन द्वारा चालाया जा रहा शिक्षा की एबीसी कार्यक्रम इस बात पर जोर देता है कि सभी अभिभावको को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे कक्षा तीन तक पढ़ना और लिखाई को समझना सीख लें.
शिक्षाविदों से मिले संस्थापनात्मक अधिगम को प्राथमिकता देते हुए प्रणालीगत परिवर्तन और सभी स्तरों पर कार्यक्रम के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए स्वतंत्र निकाय होने को बढ़ावा देने की जरूरत है. भरोसेमंद आंकलन योग्य और तुलनात्मक डाटा होना चाहिए, ताकि समय -समय पर नीतियों के लागू होने लक्ष्यों के पूरा होने बजट आदि का आंकलन हो सके.