आज की आधुनिक दुनिया में हर दिन कुछ बदल रहा है और बदलाव ही सच है, कहीं कोई पीछे न रह जाए, इसके लिए किसी को किसी की जरुरत नहीं, जो लोग गला फाड़कर सरकारी दफ्तरों पर भ्रष्ट कार्यशाला बनने का आरोप लगाते हैं. वे खुद धीरे-धीरे इस कारखाने का हिस्सा बन रहे हैं.
सरकारी महकमों में भ्रष्टचार यूं ही धड़ल्ले से चलता रहेगा, जब तक ऐसे लोगों को भर्ती मिलती रहेगी, जिनका मकसद सिर्फ पैसे के लिए काम करना है. कई बार लोगों को तमिलनाडु लोक सेवा आयोग की अनियमितताओं का सामना करना पड़ता है. भारत जैसे देश में जहां बेरोजगारी का राक्षस लगातार अपना जाल फैला रहा है, लंबे समय से शिक्षा और नौकरियों में कोई मेल ही नहीं रह गया है.
अजीब बात है, कि शिक्षा के स्तर के बढ़ने से बेरोजगारी की समस्या और बढ़ गई है. चौंकाने वाली बात है कि आईआईटी स्नातक भी रेलवे में खलासी की नौकरी के लिए अर्जी देते पाए गए हैं. तमिलनाडु लोक सेवा आयोग ने जानकारी देते हुए सरकारी नौकरियों की सही परख की. पिछले साल पहली सिंतबर में तमिलनाडु लोक सेवा आयोग ने ग्रुप डी की परीक्षा आयोजित की, जिसके आंकड़ों ने हिला के रख दिया.
9400 सीटों के लिए 16.29 लाख लोगों ने आवेदन दिए. जिसका मतलब है महज एक सीट के लिए 174 लोग. इसका भरपूर फायदा बड़े ओहदों पर बैठे मुलाजिम उठा सकें, जरुरतमंद उम्मीदवारों ने ज्यादा पैसे देकर अपने पद सुरक्षित किए.
उम्मीदवार की सारी जानकारी दो तहसीलदारों में लोक निदेशक द्वारा पहुंचा दी गई. 10 लाख से 12 लाख के बीच परीक्षा पास कराने का सौदा हुआ. प्रत्याशियों को रामेश्वरम और कीलाकराई में से परीक्षा के लिए एक सेंटर चुनने के निर्देश मिले. फिर प्रत्याशियों को दो अलग पेन दिए गए. एक पेन से उन्हें रजिस्ट्रेशन नंबर और अपनी निजी जानकारी लिखनी थी, तो दूसरे से खानों में उत्तर भरने थे. खानों को भरने के बाद एक घंटे में दूसरा पेन गायब हो जाता है, और फिर मध्यस्थ आता है और सारे सही जवाब उन खानों में भर देता है. इसपर हैरान होकर एसीबी कहते हैं कि वे पहली बार इस तरह की गलती सुलझा रहे हैं. यह बात तय है कि पूरा जमावड़ा कई बार ऐसी हरकतें कर चुका है.
ऐसे में सवाल उठता है कि दूसरा पेन जो स्याही के निशान मिटा देता है, उसकी जरुरत क्या है. निरीक्षकों को निर्देश दिए जाते हैं, कि पेपर में कितने प्रश्न का जवाब दिया है, उसके हिसाब से लिया जाए. यही कारण है कि दूसरे पेन से प्रत्याशी उत्तर भर कर दे देता है जिससे निरीक्षक उसे ले सकें और फिर बाद में गलत उत्तरों को मिटाकर उन्हें सही कर देता है. यहां तहसीलदार का कपटी हुनर देखिए कि वो परीक्षा की शुरुआत में ही प्रश्न पत्र लीक कर देता है और फिर बाहरी लोगों की मदद से समय रहते वापस भी मंगवा लेता है. भ्रष्टाचार की हद है कि 99 लोगों से पैसा वसूलने के बाद, भ्रष्ट मुलाजिम 39 प्रत्याशियों से पेपर लेकर सही उत्तर लिखकर, उनका नाम टॉप 100 प्रत्याशियों की सूची मे डलवा देते हैं. बहरहाल उन्होंने बाकी लोगों की रकम लौटाने की कोशिश की, लेकिन यहीं चुक हो गई और उनके जुर्म का पर्दाफाश हो गया.