नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था की सेहत का आईना तथा चुनौतियों को रेखांकित करने वाला आर्थिक सर्वे बृहस्पतिवार को संसद में पेश किया गया.
जानें इसकी मुख्य बातें:
- पांच साल में औसत मुद्रास्फीति की दर पिछले पांच साल की तुलना में आधे से कम रही.
- चालू खाता घाटा (सीएडी) नियंत्रण के भीतर है और विदेशी विनिमय उच्चतम रिजर्व स्तर पर है.
- केंद्र में स्थिर सरकार बनने के कारण अर्थव्यवस्था में तेजी को बल मिलने की संभावना है.
- वित्त वर्ष 2019 में सामान्य वित्तीय घाटा 5.8 प्रतिशत रहा जो वित्त वर्ष 2018 में 6.4 प्रतिशत था.
- जनवरी-मार्च के बीच आर्थिक मंदी चुनावी गतिविधियों के कारण आई.
- सरकार वित्तीय समेकन (फिस्कल कन्सॉलिडेशन) के प्रति संकल्पित है.
- राजनीतिक स्थिरता से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा.
- आर्थिक सर्वे में निवेश और खपत बढ़ने की उम्मीद जताई गई है.
- आर्थिक सर्वे में वैश्विक ग्लोबल ग्रोथ के कम रहने का अनुमान जताया गया है.
- आर्थिक सर्वे में 2019-20 में तेल की कीमतों में कमी आने का अनुमान.
- आर्थिक सर्वे में जीडीपी ग्रोथ 2019-20 के लिए सात फीसदी रहने का अनुमान.
- आर्थिक सर्वे में वित्त वर्ष 2019 में वित्तीय घाटा 5.8% रहने का अनुमान.
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे को राज्यसभा के पटल पर पेश किया.
इसे लेकर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा, 'जो आर्थिक ग्रोथ युपीए के समय चार प्रतिशत से भी नीचे पहुंच गई थी, वो आज सात प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है. ऐसे में खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत की आर्थिक व्यवस्था के माहौल में काफी बदलाव आ गया है. ये सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से संभव हो पाया है.'
समीक्षा मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने तैयार की है और इसमें दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते में देश के समक्ष चुनौतियों को रेखांकित किये जाने की संभावना है.