नई दिल्ली : चुनाव आयोग (ईसी)ने सरकार के साथ चुनाव सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की एक बार फिर पहल की. आयोग ने प्रत्याशियों द्वारा गलत हलफनामा देने और फर्जी खबरों के प्रसार को निर्वाचन प्रक्रिया दूषित करने वाले अपराध की श्रेणी में रखने का प्रस्ताव दिया है, जिससे निर्वाचित होने के बाद दोषियों की सदस्यता समाप्त की जा सके.
चुनाव सुधार को लेकर मंगलवार को विधि मंत्रालय में सचिव जी नारायण राजू के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा की बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की गई.
आयोग द्वारा जारी बयान के अनुसार बैठक में उम्मीदवारों के गलत हलफनामे और फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के अलावा मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के मुद्दे पर भी विचार किया गया.
उल्लेखनीय है कि आयोग ने हाल ही में विधि मंत्रालय को पत्र लिखकर मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों में संशोधन का अनुरोध किया था. आयोग की दलील है कि एक ही मतदाता के एक से अधिक मतदाता पहचान पत्र बनवाने की समस्या के समाधान के लिए इसे आधार से जोड़ना ही एकमात्र विकल्प है.
सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने आयोग की इस दलील से सहमति जताते हुए आधार के डाटा को विभिन्न स्तरों पर संरक्षित करने की अनिवार्यता का पालन सुनिश्चित करने को कहा है.
मतदाता बनने की अर्हता में प्रावधान संबंधी सुझाव
बैठक में आयोग ने मतदाता बनने की अर्हता के लिए उम्र संबंधी प्रावधानों में भी बदलाव का सुझाव दिया है. मौजूदा व्यवस्था में प्रत्येक साल की एक जनवरी तक 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वालों को मतदाता बनने का अधिकार मिल जाता है. आयोग ने उम्र संबंधी अर्हता के लिए एक जनवरी के अलावा साल में एक से अधिक तारीखें तय करने का सुझाव दिया है.
40 लंबित प्रस्तावों की भी दिलाई याद
बयान के अनुसार अरोड़ा ने विधि मंत्रालय के अधिकारियों को चुनाव सुधार संबंधी आयोग के लगभग 40 लंबित प्रस्तावों की भी याद दिलाई. यह प्रस्ताव पिछले कई सालों से लंबित हैं.
इनमें सशस्त्र बल और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों के लिए निर्वाचन नियमों को लैंगिक आधार पर एक समान बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है.