नई दिल्ली: केंद्रीयचुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो कर्नाटक की 15 सीटों पर उपचुनावों को टाल सकता है. आयोग ने कहा है कि चुनावतब तक के लिए टल सकता है, जब तक कि अदालत सभी 15 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं ले लेती.
चुनाव आयोग ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह अयोग्य कर्नाटक के 15 विधायकों के उपचुनावों को तब तक के लिए टाल देगा, जब तक शीर्ष अदालत उनकी अयोग्यता का फैसला नहीं करती.
चुनाव आयोग ने कहा है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन करने के बाद और वरिष्ठ वकील से प्रतिक्रिया लेने के बाद, आयोग कर्नाटक के विधानसभा के लिए निर्धारित उपचुनाव के मामले में तत्काल कदम उठाएगा.
शुभ्रांशु पाढ़ी विधायको के अधिवक्ता मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि इस मामले में जो कुछ भी दायर किया जाना वो अक्टूबर तक दायर किया जाए, अदालत इस मामले की 22 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी.
पीठ ने कहा कि वह 17 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष के आर रमेश कुमार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला करेगा.
आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा, 'फिर मैं निर्वाचन आयोग से इसे (कर्नाटक में 15 सीटों के लिये उपचुनाव) कुछ समय के लिये स्थगित करने के लिये कहूंगा.'
पीठ ने जब द्विवेदी से जानना चाहा कि क्या उनका यह बयान आदेश में दर्ज किया जाना चाहिए, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, 'हम ऐसा करेंगे.'
दल बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित किये गये विधायकों, कांग्रेस नेता सिद्धरमैया और अन्य प्रतिवादियों के वकीलों ने कहा कि यदि उप चुनाव स्थगित किये जाते हैं तो उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है.
इस मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने गुरुवार को हस्तक्षेप किया और सूचना दी कि चुनाव आयोग कोर्ट के फैसला आने तक इंतजार करेगा.
संदीप पटील विधायको के अधिवक्ता वहीं, इस मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आज यह कहते हुए अपनी दलीलें पेश की. सिब्बल ने कहा कि अयोग्यता एक संवैधानिक कर्तव्य है और यह अदालत या किसी भी राजनीतिक दल का काम नहीं है कि वो इस बात को तय करे कि स्पीकर को इस्तीफा कैसे स्वीकार करना चाहिए.
कर्नाटक विधानसभा स्पीकर आर रमेश सिटी किहोटो होलोहन केस का हवाला देते हुए, सिब्बल ने तर्क दिया कि अयोग्यता को केवल 4 आधारों पर चुनौती दी जा सकती है. जो कि गैर-कानूनी, व्यापक, प्राकृतिक न्याय से वंचित और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हैं.
बहस को आगे बढ़ाते हुए सिब्बल ने कहा कि विधायकों ने एक भाजपा सदस्य के स्वामित्व वाली उड़ान में मुंबई के लिए उड़ान भरी, मुंबई में एक 5 सितारा होटल में रुके, मीडिया को संयुक्त रूप से संबोधित किया, व्हिप जारी होने पर भी नहीं देखा, यह दर्शाता है कि यह सब जानबूझकर किया गया था.
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सिब्बल ने यह भी कहा कि ये व्यापक तथ्य हैं, जिन्हें विधायकों ने भी नहीं नकारा. उन्होंने कहा कि स्पीकर इस्तीफे को तभी स्वीकार कर सकते हैं जब वे स्वैच्छिक और वास्तविक हों और स्पीकर द्वारा पाए गए व्यापक तथ्यों की जांच की जानी थी.
बता दें कि कल सॉलिसिटर जनरल, तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि इस्तीफा देना विधायकों का अधिकार था और वो जनादेश के लिए वापस जा सकते थे. यह उनके विवेक पर था.