दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

'अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अधिक गंभीरता से काम करने की जरूरत' - कोरोना वायरस महामारी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया के विविध क्षेत्रों में कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व चुनौतियों का जिक्र करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि बहुपक्षीयता ऐसे अवसरों पर खरी नहीं उतरी, जब इसकी सबसे अधिक मांग थी.

विदेश मंत्री एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर

By

Published : Aug 20, 2020, 11:10 PM IST

नई दिल्ली : आसियान-भारत नेटवर्क थिंक टैंक के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया अब पहले जैसी कभी नहीं रहेगी और महामारी का प्रभाव 'हमारी समग्र कल्पना' से परे होगा.

विदेश मंत्री ने कार्यक्रम को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा, 'वर्तमान अनुमानों के अनुसार समग्र नुकसान 5800 से 8800 अरब डॉलर (5.8-8.8 ट्रिलियन डॉलर) या वैश्विक जीडीपी का करीब 6.5 से 9.7 प्रतिशत के बीच रखा गया है. (1929की) महामंदी के बाद निश्चित तौर पर दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े सिकुड़न का अनुमान व्यक्त किया गया है.'

उन्होंने कहा कि महामारी के कारण जीवन और आजीविका को वास्तव में किस हद तक नुकसान हुआ है, वह अभी अस्पष्ट है.

दुनिया की उभरती स्थिति के संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि महामारी ने मानव अस्तित्व से जुड़े अदृश्य आयाम को सामने लाने का काम किया है, जो वैश्वीकरण के संदर्भ में है. साथ ही नई चुनौतियों ने समग्र समाधान निकालने के लिये अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अधिक गंभीरता से साथ मिलकर काम करने की जरूरत को रेखांकित किया है.

उन्होंने कहा, 'विशुद्ध राष्ट्रीय प्रतिक्रिया या कभी-कभी इनकार की स्थिति में रहने की सीमाएं भी स्पष्ट हैं . इसलिए, समग्र समाधान निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अधिक गंभीरता से साथ मिलकर काम करने की जरूरत है.'

विदेश मंत्री ने कहा, 'विडंबना यह है कि बहुपक्षीयता की जब सबसे अधिक मांग रही तब ऐसे अवसरों पर यह खरी नहीं उतरी. अगर हमने कम नेतृत्व देखा, तो यह सिर्फ मुख्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की कालभ्रमित प्रकृति के कारण नहीं था.'

अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि वर्तमान स्थिति भी मौजूदा अंतरराष्ट्रीय राजनीति के घोर प्रतिस्पर्धी स्वरूप को प्रदर्शित करती है. उन्होंने कहा कि ऐसे में दुनिया की सोच में जो बड़ा मुद्दा सामने है, वह केवल अर्थव्यवस्था की स्थिति ही नहीं है बल्कि समाज को नुकसान या शासन को चुनौती का विषय भी है.

जयशंकर ने कहा, 'यह वास्तव में वैश्विक मामलों की भविष्य की दिशा को लेकर चर्चा है कि किस प्रकार की व्यवस्था या अव्यवस्था में हम रहने जा रहे हैं.'

विदेश मंत्री ने कहा कि वर्तमान स्थिति के परिणाम स्वरूप अंतरराष्ट्रीय संबंधों में आज विश्वास सबसे मूल्यवान उत्पाद है.

उन्होंने कहा, 'हमने कई वर्गों में देखा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को पुन: परिभाषित किया जा रहा है ताकि आर्थिक सुरक्षा को शामिल किया जा सके. हाल में इसने प्रौद्योगिकी सुरक्षा के बारे में सवालों और चिंताओं को जन्म दिया.'

उन्होंने कहा कि महामारी ने स्वास्थ्य सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया है. एक ध्रुवीय विश्व में सामरिक स्वायत्तता के सिद्धांत पर जोर था, वहीं अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का महत्व प्रासंगिक बन गया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details