कुड्डालोर : भूख कोई भाषा नहीं समझती, यह सार्वभौमिक भाषा है जिसे मानव जाति समझती है. इसी भूख ने तमिलनाडु के टी. महेश्वरन को व्हाइट कॉलर जॉब से छोटे स्तर का व्यवसाय करने के लिए मजबूर कर दिया. इंजीनियरिंग कॉलेज से अच्छी सैलरी उठाने वाले शिक्षक महेश्वरन अब रोज करीब 800 रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. वह अपने इस छोटे व्यवसाय से काफी खुश हैं, वह इसे आगे बढ़ाने की कोशिश करना चाहते हैं.
टी. महेश्वरन मार्च के अंत तक एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रमुख (एचओडी) थे. जिन्हें कोरोना लॉकडाउन की वजह से छंटनी के कारण अपनी नौकरी गंवानी पड़ गई. जिसके बाद उन्होंने स्नैक्स विक्रेता के रूप में लाभकारी रोजगार मिला, जिसमें वह कॉलेज की सैलरी से ज्यादा पैसे कमा लेते हैं. अब वह कुड्डालोर जिले में अपने पैतृक नेवेली शहर में लोकप्रिय खस्ता नाश्ता बेच रहे हैं.
महेश्वर बताते हैं कि तमिलनाडु में कम लागत वाले तकनीकी शिक्षा मॉडल अधिक टिकाऊ नहीं है. राज्य में बेरोजगार इंजीनियरिंग स्नातकों की संख्या अधिक है और बीते कुछ वर्षों से इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश में भारी गिरावट देखी जा रही है. उन्होंने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए शिक्षक का पेशा चुना था.