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लॉकडाउन में नौकरी खोने के बाद शिक्षक ने शुरू किया स्नैक्स का व्यवसाय

तमिलनाडु के एक कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षक टी. महेश्वरन कोरोना लॉकडाउन के कारण अपनी नौकरी से हाथ धो बैठे. जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी से प्रेरित होकर मुरुक्कू बनाने का व्यवसाय शुरू किया. जिसमें उन्हें कॉलेज की सैलरी से ज्यादा आय होती है. अब वह अपना छोटा सा मुरुक्कू कारोबार बढ़ाना चाहते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Corona Lockdown results in Loss of Job for College Teacher
शिक्षक ने शुरू किया स्नैक्स का व्यवसाय

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Published : Jul 14, 2020, 6:04 PM IST

कुड्डालोर : भूख कोई भाषा नहीं समझती, यह सार्वभौमिक भाषा है जिसे मानव जाति समझती है. इसी भूख ने तमिलनाडु के टी. महेश्वरन को व्हाइट कॉलर जॉब से छोटे स्तर का व्यवसाय करने के लिए मजबूर कर दिया. इंजीनियरिंग कॉलेज से अच्छी सैलरी उठाने वाले शिक्षक महेश्वरन अब रोज करीब 800 रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. वह अपने इस छोटे व्यवसाय से काफी खुश हैं, वह इसे आगे बढ़ाने की कोशिश करना चाहते हैं.

टी. महेश्वरन मार्च के अंत तक एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रमुख (एचओडी) थे. जिन्हें कोरोना लॉकडाउन की वजह से छंटनी के कारण अपनी नौकरी गंवानी पड़ गई. जिसके बाद उन्होंने स्नैक्स विक्रेता के रूप में लाभकारी रोजगार मिला, जिसमें वह कॉलेज की सैलरी से ज्यादा पैसे कमा लेते हैं. अब वह कुड्डालोर जिले में अपने पैतृक नेवेली शहर में लोकप्रिय खस्ता नाश्ता बेच रहे हैं.

महेश्वर बताते हैं कि तमिलनाडु में कम लागत वाले तकनीकी शिक्षा मॉडल अधिक टिकाऊ नहीं है. राज्य में बेरोजगार इंजीनियरिंग स्नातकों की संख्या अधिक है और बीते कुछ वर्षों से इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश में भारी गिरावट देखी जा रही है. उन्होंने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए शिक्षक का पेशा चुना था.

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टी. महेश्वरन इस मुरुक्कू व्यवसाय का पूरा श्रेय अपनी पत्नी को देते हैं. एक दिन उनकी पत्नी ने शाम के नाश्ते में उन्हें मुरुक्कू खिलाया, जो उन्हें बहुत पसंद आया. तभी उन्हें इस मुरुक्कू का छोटा सा व्यवसाय करने का ख्याल आया. इस छोटे से मुरुक्कू व्यवसाय से महेश्वरन दिन में लगभग 800 रुपये कमा लेते हैं. उन्होंने कहा कि वह अब इस छोटे व्यवसाय का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं.

निजी कॉलेज के शिक्षक टी. महेश्वरन ने छोटा सा व्यवसाय करके आज की युवा पीढ़ी को एक संदेश दिया है. आज के युवा छोटी-छोटी बातों से निराश होकर गलत कदम उठा लेते हैं. नौकरी खोने पर भी महेश्वरन अपनी जिंदगी से निराश नहीं हुए. उन्होंने अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए दूसरा अवसर अपना लिया और उसे आगे बढ़ाने की सोच रहे हैं.

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