हैदराबाद : शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेमडेसिवीर नामक दवा को कोविड-19 के उपचार में सहायक बताकर भरपूर समर्थन किया. हालांकि कुछ सप्ताह पहले ही ट्रंप ने एंटी-मलेरियल दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को चमत्कार के रूप में कोविड 19 के उपचार के तौर पर पेश किया था.
फिर रविवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने बहुत सारे साक्ष्य देते हुए बताया कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति वुहान में एक चीनी लैब में हुई है. 'याद रखें, चीन के पास दुनिया को संक्रमित करने का इतिहास है, और उनके पास घटिया प्रयोगशालाएं चलाने का इतिहास है,' पोम्पिओ ने समाचार चैनल को बताया. दोनों कथन महत्वपूर्ण हैं. ऐतिहासिक रूप से व्यापक बीमारी और महामारी का देशों पर सीधा प्रभाव पड़ता है.
बीमारियों के खिलाफ कई साम्राज्यों के शक्तिहीन शासक और नेता समाप्त हो गए. सबसे कठिन अराजकता के बीच कानून का पालन और इसकी वैधता लागू करना होता है. दिलचस्प बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के रेमडेसिवीर पर दिए गए बयान से ठीक दो दिन पहले दुनिया की सबसे पुरानी और प्रमुख चिकित्सा पत्रिका 'लैंसेट' ने रेमडेसिवीर पर एक पेपर निकाला, जहां एक अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया, 'कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा कोरोना रोगियों के उपचार के लिए प्रभावी साबित नहीं हुई है. कोरोना वायरस रोग 2019 (COVID-19) के साथ… बड़े नमूना आकारों के साथ अध्ययन कोविड-19 पर रेमडेसिवीर के प्रभाव की हमारी आगे सूचित करेगा.'
इतिहास में कभी भी मानवता एक इलाज के लिए इतना हताश भी नहीं हुआ, जितना की कोविड-19 ने किया है.
कोविड-19 ने नस्ल, रंग और पंथ में कोई भेद नहीं किया हैं और अमीर और शक्तिशाली देशों को अपने घुटनों पर ला दिया है. वास्तव में विकसित राष्ट्र इस संकट को भुगत रहे हैं. इसमें न्यूयॉर्क, लंदन, ब्रुसेल्स और मैड्रिड वैश्विक केंद्र बने हुए हैं. अब तक इस घातक वायरस से दुनिया भर में 35 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो गए है और लगभग 2.5 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.
कई देशों की सरकारें और गैर-सरकारी संस्थाओं सहित कम से कम सौ इकाइयां वैक्सीन के आविष्कार के लिए प्रतिस्पर्धा में लगी हुई है.
संजय सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के शिक्षक हैं. अनके अनुसार, 'टीके के सफल परीक्षण और उत्पादन के लिए यह प्रतिस्पर्धा उभरते विश्व व्यवस्था पर प्रभाव कायम करेगा. उत्पादन और वितरण पर नियंत्रण सत्ता की राह तय करेगी. एक टीका विश्व व्यवस्था को प्रभावित करेगी और तदनुसार देशों के बीच शक्ति की स्थिति तय करेगी. दूसरे शब्दों में वैक्सीन उत्पादक देश दुनियाभर में प्रभाव पैदा करने की शक्ति आ जाएगी. इसके बाद टीकों की पर्याप्त खेप प्राप्त करने के बाद कुछ भी व्यापार करने को तैयार होंगे.'
बिना किसी संदेह के वैक्सीन उत्पादन की उपलब्ध क्षमता एक महत्वपूर्ण बाधा होगी, क्योंकि वर्तमान में अपेक्षित अंतरराष्ट्रीय मांग 40 प्रतिशत से कम से पूरा नहीं किया जा सकता है. भले ही टीके की उत्पादन के लिए पूरी क्षमता को कोविड 19 वैक्सीन के उपयोग किया जाए.