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मिशन शक्तिः 2 साल 150 वैज्ञानिकों की मेहनत का फल, मलबा से खतरा नहीं

मिशन शक्ति पर डीआरडीओ ने सभी सवालों के जवाब दे दिए हैं. नासा की आपत्तियों को भी डीआरडीओ ने तथ्यहीन बताया है. जानिए, विस्तार से क्या कहा वैज्ञानिकों ने.

मिशन शक्ति परीक्षण की तस्वीर

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Published : Apr 6, 2019, 8:16 PM IST

Updated : Apr 6, 2019, 8:32 PM IST

नई दिल्ली: मिशन शक्ति को लेकर रक्षा अनुंसधान एवं विकास परिषद (डीआरडीओ) ने सभी भ्रम को साफ कर दिया है. डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने कहा कि मलबा 45 दिनों के अंदर नष्ट हो जाएगा. इससे किसी को कोई खतरा नहीं है.

ईटीवी भारत ने डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी से बात की. उन्होंने विस्तार से समझाया कि कौन से सवाल हैं और क्या आपत्तियां हैं.

रेड्डी ने कहा कि अंतरिक्ष में नष्ट किए गए उपग्रह का मलबा तेजी से मिटाया जाएगा. और इससे किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अमेरिकी राज्य विभाग या पेंटागन ने अंतरिक्ष में मौजूद मलबे के बारे में कोई चिंता व्यक्त नहीं की. भारत के परीक्षण के बाद अंतरिक्ष में 250-300 मलबा मौजूद हैं, जो तेजी से नीचे गिराया जा सकेगा.

डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी से बातचीत

उन्होने कहा कि अब नासा के मुख्य प्रशासक द्वारा यह मुद्दा उठाया गया है. उनका कहना है कि अंतरिक्ष में मौजूद कुछ मलबा ऊंचाई पर जा रहा है. हालांकि हमने परीक्षण कम ऊंचाई पर किया है.

रेड्डी ने कहा कि इस मामले पर किसी और ने चिंता व्यक्त नहीं की है और हमने इस तरह से डिजाइन किया है कि मलबे को लेकर में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होगी.

पढ़ें-मिशन शक्ति : US रक्षा मंत्रालय का भारत को समर्थन, NASA की राय को नकारा

दो साल 150 वैज्ञानिकों की मेहनत का फल है सफल टेस्ट
रेड्डी ने कहा कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने जो भी सवाल उठाए हैं, उसका कोई मतलब नहीं है. मिशन की जानकारी देते हुए रेड्डी ने कहा कि यह हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत का फल है. दो साल पहले (2016 में) पीएम मोदी ने इसकी इजाजत दी थी. उसके बाद 150 वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट पर काम किया. उसके बाद हमे यह ऐतिहासिक सफलता मिली.

जी सतीश रेड्डी ने कहा कि भारत ने मिशन शक्ति के लिए 300 किलोमीटर से भी कम दायरे वाली लोअर कक्षा को चुना था. इससे अंतरिक्ष में मलबे का कोई खतरा उत्पन्न नहीं होगा.
उनकी इस टिप्पणी से कुछ दिन पहले नासा ने उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण (ए-सैट) से मलबे के खतरे पर चिंता जाहिर की थी. भारत ने 27 मार्च को यह परीक्षण किया था.

रेड्डी ने कहा कि मिसाइल में 1,000 किलोमीटर के दायरे वाली कक्षा में उपग्रहों को रोकने की क्षमता है.

क्या थी नासा की आपत्ति
नासा ने उसके एक उपग्रह को भारत की तरफ से मार गिराए जाने को “भयावह” बताया और कहा कि इस मिशन के चलते अंतरिक्ष में मलबे के 400 टुकड़े बिखर गए.
मिशन शक्ति से जुड़े हुए एक वैज्ञानिक पंकज शरण ने कहा कि हम नासा के संपर्क में हैं. पूरी दुनिया में हमारे परीक्षण को लेकर संतोष की भावना है. सभी हमारी राय से सहमत हैं कि मलबा बहुत जल्द नष्ट हो जाएगा.
चीन ने अधिक ऊंचाई पर किया था परीक्षणवैज्ञानिकों ने ये भी बताया कि भारत के मुकाबले चीन ने अधिक ऊंचाई (850 मीटर) पर परीक्षण किया था. इतना नहीं नहीं, चीन ने पहले अपने परीक्षण को छिपाने की भी कोशिश की थी.

स्पेस विशेषज्ञ की राय
स्पेस और न्यूक्लियर मामलों के विशेषज्ञ राजेश्वरी पिल्लई राजगोपाल ने ईटीवी भारत को बताया कि हमारा मिशन शक्ति बिल्कुल सुरक्षित और जवाबदेह है. उन्होंने कहा कि हम चीन से बेहतर हैं. हमारा रिकॉर्ड उनसे अच्छा है. हमने प्रयोग किया और इसे दुनिया के सामने भी रखा. लेकिन चीन ने जब इसका टेस्ट किया था, तब उसने स्वीकार ही नहीं किया था.

कांग्रेस की आपत्ति निर्मूल
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के उन आरोपों पर वैज्ञानिकों ने कहा कि इसे छिपाया जाना संभव नहीं है. उनके अनुसार जब आप अंतरिक्ष में टेस्ट करते हैं, वह वहां पहले से ही कई एजेंसियां मौजूद हैं. सभी को जानकारी दी जाती है. लिहाजा, इसे किसी भी हालत में दबाया नहीं जा सकता है.

Last Updated : Apr 6, 2019, 8:32 PM IST

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