दार्जिलिंग :उत्तर बंगाल में चाय के बागानों पर निर्भर श्रमिक अब आधुनिक तरीके से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. यह विदेशी नस्ल का फल नागफनी (कैक्टस) परिवार का सदस्य है. भारतीय बाजार में इसकी कीमत 400 से 500 रुपये की प्रति किलो है. इसमें कई सारे लाभकारी गुण पाए जाते हैं जो आपके शरीर को तंदरूस्त बनाते हैं. साथ ही यह कई रोगों से लड़ने में मदद करते हैं. इसलिए कोरोना काल में इस फल (ड्रैगन फ्रूट) की मांग बढ़ गई है. कटीला और चटकदार रंग होने की वजह से इस गुलाबी रंग के फल को ड्रैगन फ्रूट कहा जाता है.
दार्जिलिंग के सिलीगुड़ी स्थित नक्सलबाड़ी में रहने वाले दंपति ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. इस कठिन समय में इन दंपति ने अपने आजीविका चलाने का साधन ढुंढ लिया है. ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाली आभा टोप्पो बताती हैं कि वह यहां कई सालों से चाय बागान में काम करती थीं. उत्तर बंगाल में विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने चार पौधे लगाकर इनकी खेती की शुरुआत की थी जिसके बाद आज वह 123 पौधों की मालकिन बन गई हैं.
घर बैठे हो रहा ड्रैगन फ्रूट का व्यापार
आभा बताती हैं कि कोरोना के कारण बाजार में फलों की मांग बढ़ गई है. बाजार में इनकी कीमत 400 से 500 रुपये किलो है. लोगों को यह फल काफी लुभा रहे हैं. वह इन्हें खरीदने के लिए घर आते हैं. उन्हें फलों को बेचने के लिए बाहार जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती.
यह खेती ग्रामीणों को कर रही आकर्षित
आभा ने बताया कि इस ड्रैगन फ्रूट की खेती से उनके परिवार की आर्थिक हालत काफी सुधर गई है. वह इस खेती से काफी अच्छे पैसे कमा रही है. ड्रैगन फ्रूट की खेती गांव वालों को भी काफी आकर्षित कर रही है. स्थानीय लोग इस खेती के बारे में जानने के लिए आभा टोप्पों से पूछताछ करते हैं. आभा सभी को इसे लगाने के लिए जानकारी देती हैं.