जन्म से ही हर व्यक्ति के कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं. उनकी रक्षा करना संबंधित सरकारों की जिम्मेदारी है. फिर भी दुनियाभर में लोगों के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है. जाति, धर्म, क्षेत्र, लिंग, रंग और रूप के नाम पर लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और अधिकारों का उल्लंघन बेरोकटोक जारी है. अधिकारों पर ऐतिहासिक कानून, 'मैग्ना कार्टा', स्पष्ट करता है कि नागरिक की स्वतंत्रता को 'न्याय निर्णय' के अलावा किसी भी तरीके से निषिद्ध नहीं किया जा सकता है.
हर देश की एक ही कहानी...
भारत में लागू किया गया मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993, 8 जनवरी 1994 को लागू हुआ. अधिनियम यह निर्धारित करता है कि राज्य स्तर पर मानवाधिकार समूहों की स्थापना की जानी चाहिए. एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट है कि भारत सहित कई देशों में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. रिपोर्ट में कहा गया, अमेरिका, वेनेजुएला, बांग्लादेश, ईरान, इराक, यमन, तुर्की और सीरिया में उल्लंघनों की संख्या अधिक थी. यह भी पता चला कि बाल अधिकारों के उल्लंघन के अलावा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लिंग आधारित दुर्व्यवहार, बच्चों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा और जाति-धार्मिक हिंसा आदि में सामाजिक कार्यकर्ता भी मारे जा रहे हैं.
महिलाओं के अधिकारों के संबंध में...
ललिता मुद्गल बनाम भारत संघ (1995), सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य, मेहता बनाम भारत संघ (1986) मामले महत्वपूर्ण हैं. विशाखा दिशानिर्देश भी महत्वपूर्ण हैं. दिल्ली स्थित स्वैच्छिक संगठन, 'नाज फाउंडेशन' (2009) हिजड़ों के अधिकारों के लिए काम कर रहा है. प्रत्येक व्यक्ति को न्यूनतम सुविधाओं तक पहुंच का अधिकार है. बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जिन्हें 'बीमार राज्य' के रूप में जाना जाता है, अब भी पेयजल, परिवहन और बिजली जैसी न्यूनतम सुविधाओं का अभाव है. तकनीकी प्रगति और करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद, कुछ क्षेत्रों में सामाजिक विकास की कमी को अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा जाना चाहिए. यह दर्दनाक है कि वह अब भी स्वतंत्रता के सात दशकों के फल का आनंद हर कोई नहीं ले सकता है. मैला ढोना एक कानूनी अपराध है. हालांकि यह प्रक्रिया अब भी जारी है.
हेलसिंकी की घोषणापत्र के अनुसार मानव पर दवा का प्रयोग एक अपराध है. हाल ही में तेलंगाना राज्य में भद्राचलम आदिवासी लड़कियों पर ऐसे प्रयोग प्रकाश में आए हैं. महिलाओं की तस्करी एक अपराध है. तेलुगु राज्यों के नल्लामाला क्षेत्र में आदिवासियों को पैसे और शराब का लालच देकर ठगा जा रहा हैं. महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त क्षेत्र मराठवाड़ा की गाथा सबसे दुखद है. क्षेत्र की अधिकांश महिलाओं में गर्भाशय नहीं होता है, क्योंकि गन्ना किसान केवल उन महिलाओं को नियुक्त करते हैं, जिन्होंने गर्भाशय निकलवा (हिस्टेरेक्टॉमी) दिया है, अन्यथा वह अपने मासिक के दौरान दो-तीन दिन अनुपस्थित रहेंगी. बेरोजगारी के डर से महिलाएं हिस्टेरेक्टॉमी का सहारा ले रही हैं. यह उनके अधिकारों का जघन्य उल्लंघन है.