नई दिल्ली: आयुष्मान भारत नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. इस स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम के एक साल पूरे होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आंकड़े सार्वजनिक किए. वहीं नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक ने जम्मू-कश्मीर के अस्पतालों में बिना कागजात के मरीजों का इलाज करने का निर्देश दिया है.
मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि आयुष्मान भारत के तहत पहले साल में 10 करोड़ ई-कार्ड जारी किए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जागरूकता कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हस्ताक्षरित 7.7 करोड़ पत्र लाभार्थियों को बांटे गए हैं. हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की 7,500 करोड़ रुपये की निधि योजना के तहत 45 लाख मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने का लाभ मिला है.
21 हजार स्वास्थ्य केंद्र स्थापित
रकार की पहले साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि आयुष्मान भारत के तहत प्रधानमंत्री जन अरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के तहत 55 करोड़ संभावित लाभार्थी हैं. उन्होंने बताया कि 21,000 से ज्यादा स्वास्थ्य व कल्याण केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत तक 40,000 से ज्यादा हो जाएंगे.डॉ. हर्षवर्धन ने आयुष्मान भारत पखवाड़े के शुभारंभ की भी घोषणा की.
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान डॉ हर्षवर्धन योजना के प्रति जागरुकता बढ़ाई जाएगी
उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत की यात्रा की शुरुआत 14 अप्रैल, 2018 को छत्तीसगढ़ के एक सुदूरवर्ती क्षेत्र जांगला में स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्र (एचडब्ल्यूसी) के उद्घाटन के साथ हुई. इसके बाद 23 सितम्बर, 2018 को झारखंड के रांची में आयुष्मान भारत के दूसरे स्तम्भ 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई)' का शुभारंभ के किया गया. आयुष्मान भारत पखवाड़े पर डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि इस योजना के साथ-साथ इसके दोनों स्तम्भों की प्रमुख विशेषताओं और इससे जुड़े लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाएगी.
आयुष्मान भारत पखवाड़ा
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई)' के शुभारंभ का एक वर्ष पूरा हो जाने पर आयुष्मान भारत पखवाड़ा (15-30 सितम्बर) मनाया जा रहा है. आयुष्मान भारत और अन्य संबंधित पहलों जैसे कि पोषण अभियान और स्वच्छता अभियान के जरिए स्वास्थ्य सेवा के निवारक, प्रचार और उपचारात्मक पहलुओं, पोषण, योग एवं स्वस्थ जीवन शैली के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाएगी.
2022 तक 1.5 लाख स्वास्थ्य केन्द्र का लक्ष्य
डॉ. हर्षवर्धन ने 'आयुष्मान भारत' को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विजन करार दिया. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की यह योजना देश के ऐसे गरीबों, जरूरतमंदों और कमजोर तबकों को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. बकौल डॉ. हर्षवर्धन, 1.5 लाख स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्र दिसंबर, 2022 तक चालू हो जाएंगे. इससे विभिन्न समुदायों को स्थानीय स्तर पर ही निवारक स्वास्थ्य सेवा सहित व्यापक प्राथमिक सेवा (सीपीएचसी) मुहैया कराई जाएगी.
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स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, पीएमजेएवाई देश के 50 करोड़ गरीब एवं कमजोर तबकों को कवर करती है. बकौल डॉ हर्षवर्धन, यह गंभीर और भयावह बीमारियों हेतु द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य आश्वासन कवर मुहैया कराती है.
- 32 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों ने जन आरोग्य योजना का लागू किया है.
- डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि फिलहाल कार्यरत आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्रों में फिलहाल 1,70,63,522 मरीजों को सेवाएं मिल सकती हैं.
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत संबंधित सेवा केन्द्र पर लाभार्थी को कैशलेस और कागज रहित (paperless) सेवा सुलभ कराई जाती है.
- 1.5 करोड़ से भी अधिक लोगों की जांच हाइपरटेंशन के लिए की गई
- 70 लाख से भी अधिक लोगों का उपचार किया जा रहा है
- लगभग 1.3 करोड़ लोगों की जांच मधुमेह के लिए कराई गई
- 31 लाख से भी अधिक लोगों का इलाज किया जा रहा है
- तीन आम कैंसर (स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और मुंह) के संभावित मामलों में संबंधित मरीजों को उपचार के लिए उच्चतर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा केन्द्रों में भेजा जाता है.
- ओरल कैविटी कैंसर के लिए 76 लाख से भी अधिक लोगों की जांच की गई
- इनमें से 10,218 लोगों का उपचार किया जा रहा है
- 53 लाख से भी अधिक महिलाओं की जांच स्तन कैंसर के लिए की गई
- लगभग 9700 महिलाओं का उपचार हो रहा है
- 37 लाख से भी अधिक महिलाओं की जांच गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लिए की गई
- लगभग 10,000 महिलाओं का इलाज किया जा रहा है
- 1.6 करोड़ से भी अधिक मरीजों को दवाएं मुहैया कराई गई
- लगभग 49 लाख लोगों को नैदानिक सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं
- 23 सितम्बर, 2018 को शुरू हुई प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आज तक अस्पतालों में 7500 करोड़ रुपये मूल्य के 47 लाख इलाज किए जा चुके हैं.
- इस धनराशि का 55 प्रतिशत तीसरे स्तर के इलाज के लिए खर्च किया गया है.
- एबी-पीएमजेएवाई योजना के तहत पूरे देश में 18,073 अस्पतालों तथा स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों को सूची में शामिल किया गया है
- इनमें 53 प्रतिशत अस्पताल निजी क्षेत्र के हैं. 62 प्रतिशत इलाज निजी अस्पतालों में हुआ है.
- पीएमजेएवाई की एक विशेषता है-पोर्टेबलिटी. इसके तहत योग्य, गरीब और प्रवासी कामगार अपने राज्य से बाहर भी इलाज प्राप्त कर सकते हैं.
- पोर्टेबलिटी के तहत अब तक 40,000 लोगों को लाभ मिला है.
भावी योजनाओं के बारे में डॉ. हर्षवर्धन ने यह भी बताया कि काबिल चिकित्सा अधिकारियों की मदद से मरीजों को टेली-कंसल्टेशन सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी. इसी तरह उप-स्वास्थ्य केन्द्रों तथा पीएचसी को रेफर किए जाने वाले रोगियों को विशेषज्ञों की मदद से टेली-कंसल्टेशन सेवाएं जल्द ही उपलब्ध कराई जाएंगी.
निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाएंगे
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने स्वास्थ्य लाभ देने वाले सभी वर्तमान पैकेजों को बेहतर बनाने का निर्णय लिया है और इन पैकेजों की उचित लागत निर्धारित की है. उन्होंने कहा कि अधिक अस्पतालों को पैनल में शामिल करने से निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ेगी और लोगों की चिकित्सा सेवा तक पहुंच में विस्तार होगा.
गड़बड़ी करने वाले 97 अस्पतालों को हटाया
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भ्रष्टाचार के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की नीति के कारण गड़बड़ी करने वाले 97 अस्पतालों को पैनल से हटा दिया गया है. इन पर 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है. बकौल डॉ हर्षवर्धन, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के अलावा यह योजना स्वास्थ्य सेवा में रोजगार बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही है. पिछले एक साल में इस योजना से देश के स्वास्थ्य सुविधा क्षेत्र में हजारों रोजगार पैदा हुए है और आने वाले वर्षों में और भी रोजगार पैदा होंगे.
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जम्मू-कश्मीर में विशेष निर्देश
जम्मू-कश्मीर के हालात पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि प्रदेश के कुछ इलाकों में इंटरनेट सिस्टम में आंशिक बंदी रही है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अस्पतालों को कहा गया है कि मरीजों को पहले इलाज मुहैया कराएं, और 'कागजी कार्रवाई बाद में करें.'
कश्मीर में बिना कागजात के भी होगा इलाज
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के इंदु भूषण ने कहा 'जम्मू-कश्मीर के कुछ भागों में इंटरनेट की समस्या रही है. हमने अस्पतालों को निर्देश दिए हैं कि मरीजों को बिना कागजातों के भर्ती करें. अस्पताल कागजी कार्रवाई बाद में भी कर सकते हैं. बता दें कि बीते पांच अगस्त से जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में पाबंदियां लगाई गई हैं. आर्टिकल 370 के प्रावधानों में हुए बदलावों के बाद जम्मू-कश्मीर में बुनियादी सेवाओं पर असर पड़ा है.