चमोलीः प्रसिद्ध चारधाम में शुमार भगवान बदरी विशाल के कपाट आज ब्रह्ममुहूर्त में सुबह 4:30 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण और धार्मिक विधि-विधान के साथ खोल दिए गए हैं. इसके साथ ही चारधाम के सभी कपाट खुल गए हैं. भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए शुभ अवसर है.
मंदिर के कपाट ब्रह्म मुहूर्त में धनिष्ठा नक्षत्र में खोले गए,लेकिन हर वर्ष कपाट खुलने के दौरान श्रद्धालुओं से भरा रहने वाला मंदिर का प्रांगण इस बार कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण खाली रहा और मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी समेत चुनिंदा 11 व्यक्ति ही मौजूद रहे. इस दौरान सामाजिक दूरी और मास्क पहनने जैसी सभी जरूरी एहतियाती कदम भी उठाये गए. इस बार सेना के बैंड की सुमधुर ध्वनि और भजन मंडलियों की स्वर लहरियां भी नहीं सुनायी दीं.
भगवान विष्णु को समर्पित इस धाम के खुलने के बाद मानवमात्र के रोग-शोक की निवृत्ति, आरोग्यता एवं विश्व कल्याण की कामना की गई. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से भगवान बद्रविशाल की प्रथम पूजा मानवता के कल्याण हेतु संपन्न की गई.
मंदिर को 10 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था जो बिजली की रोशनी से जगमग होकर अनूठी आभा बिखेर रहा था. कपाट खुलने के बाद वेद मंत्रों की ध्वनियों से पूरी बद्रीशपुरी गुंजायमान हो गई.
इस वर्ष कोरोना वायरस महामारी के कहर का प्रभाव उत्तराखंड के चार धामों पर भी पड़ा है. बद्रीनाथ के कपाट खोल दिये गये हैं लेकिन आश्रम, दुकानें, छोटे-बड़े होटल, रेस्तरां और ढाबे बंद है.
कोरोना वायरस महामारी के कारण इस वर्ष चार धाम यात्रा से अभी श्रद्धालुओं को दूर रखा गया है और केवल कपाट खोले गये हैं.
आइए आपको बताते हैं, किस तरह से शुरू हुई कपाट खोलने की प्रक्रिया..
इस तरह शुरू हुई कपाट खोलने की प्रक्रिया-
- सुबह 4 बजे रावल धर्माधिकारी समेत वेदपाठियों ने मंदिर के पीछे के दरवाजे से भीतर प्रवेश किया.
- 4:15 बजे पहले द्वार का पूजन किया गया.
- ठीक 4:30 बजे भगवान बदरीनाथ के मुख्य द्वार को खोला गया.
- कपाट खुलते ही भगवान की 6 महीने जलने वाली अखंड ज्योति के दर्शन हुए.
- इसके बाद भगवान उद्धव जी और कुबेर जी, भगवान बदरीनाथ के गर्भगृह में बदरीश पंचायत में विराजित हुए.
- मां लक्ष्मी को भगवान बदरीनाथ के साथ गर्भगृह से बाहर अपने मंदिर में रावल और मुख्य पुजारी ने स्थापित किया.
- शीतकाल में भगवान को ओढ़ाया गया घृत कंबल या चोली हटाई गई.
- घृत कंबल कपाट खुलने का खास प्रसाद होता है.
- इसके बाद गणेश जी की पूजा अर्चना कर अपने मूल स्थान पर विराजित किया गया.
- 9 बजे बाद भगवान बदरीनाथ का अभिषेक, महाभिषेक पूजा होगी.
- भगवान बदरीनाथ का तुलसी फूलों के साथ श्रृंगार किया जाएगा.
- दिन भर होने वाली पूजा और भोग लगेगा.
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दी बधाई
भगवान बद्री विशाल के कपाट खुलने पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी को बधाई दी. उन्होंने कहा कि ये हम सभी के लिए शुभ अवसर है. सीएम ने कहा कि भगवान बदरीनाथ सबके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाएं.
सीएम ने कहा कोरोना से रहें सावधान
सीएम ने कोरोना से सावधान रहने को भी कहा. उन्होंने कहा कि कोरोना दूर होने में समय लेगा. सभी लोग सुरक्षा के उपाय जरूर अपनाएं. सीएम त्रिवेंद्र ने घर लौट रहे प्रवासियों से कहा कि वो अपने घर पर ही क्वारंटाइन रहें.
बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाने की तिथि भी इस बार कोरोना वायरस के कारण 15 दिन आगे खिसका दी गई थी. पहले कपाट 30 अप्रैल को खोले जाने थे. उत्तराखंड के अन्य तीन धाम पहले ही खोले जा चुके हैं. उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट अक्षय तृतीया के दिन खोले गये थे, वहीं रूद्रप्रयाग जिले में भोले बाबा के धाम केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खोले गये थे.