पटना :बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार अनंत सिंह मोकामा सीट से राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और उनका सामना जदयू के उम्मीदवार राजीव लोचन नारायण सिंह से होगा. राजीव के पिता कभी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीबी थे. अनंत सिंह के पिछले कामों के साथ तुलना करने पर मोकामा के शंकरटोला निवासी राजीव लोचन एक साफ छवि वाले नेता हैं. उनके पिता वेंकटेश नारायण सिंह उर्फ बिन्नी बाबू वाजपेयी के काफी करीबी थे और वाजपेयी जब भी मोकामा जाते थे तो वे बिन्नी बाबू के आवास पर ही ठहरते थे.
इसके उलट अनंत सिंह को कट्टर प्रतिद्वंद्वी अपराधी विवेका पहलवान और नागा सिंह सहित कई अपराधी गिरोहों के साथ गैंगवार के लिए जाना जाता है. अनुमंडलीय शहर बाढ़ से करीब चार किमी दक्षिण लद्मा गांव के निवासी अनंत और विवेका के बीच प्रतिद्वंद्विता की लड़ाई में दर्जनों मारे गए. अनंत के बड़े भाई और वकील सच्चिदानंद सिंह उर्फ फाजो सिंह की हत्या में दोषी पाए जाने के बाद विवेका नौ साल तक जेल में रहा था. नीतीश ने उस समय फाजो सिंह के श्राद्ध में भी भाग लिया था.
अनंत वर्ष 2005 में जदयू के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे. वर्ष 2010 में भी वे मोकामा विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे. वर्ष 2005 में अनंत ने 35 हजार से अधिक मतों से लोजपा के उम्मीदवार और एक अन्य प्रतिद्वंद्वी नलिनी रंजन को हराया था. इसी तरह 2010 में उन्होंने रंजन की पत्नी सोनम देवी को हराया. हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश ने उन्हें दरकिनार कर दिया, इसके बावजूद अनंत ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जदयू के उम्मीदवार नीरज कुमार को हराकर चुनाव जीता.
मोकामा ताल के लोगों के अब भी डॉन से नेता बने अनंत सिंह का नाम याद करते हुए रोंगटे खड़े हो जाते हैं. फिलहाल विवादास्पद विधायक पटना जिले स्थित अपने पैतृक घर लाडमा गांव से एके -47 और हथगोले की बरामदगी के बाद गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम ) अधिनियम (यूएपीए ) के तहत आरोप तय होने के बाद से जेल में हैं.
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार अनंत के अपराध का सिलसिला 1976 में शुरू हुआ जब चोरी से संबंधित मामले में उनका नाम पहली बार सामने आया था. उन्होंने कुख्यात अपराधी के रूप में लोकप्रियता तब हासिल की जब उन्होंने बड़े भाई बिरंची सिंह की हत्या का मुन्नी लाल गिरोह से बदला लिया. वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले बच्छू सिंह की हत्या के बाद अनंत अधिक लोकप्रिय हो गए, क्योंकि उनके बड़े भाई (अब दिवंगत) दिलीप सिंह चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन सूरजभान सिंह ने दिलीप को हरा दिया.