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हमारे संविधान निर्माता भी समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे : डॉ. आदिश - संविधान में संशोधन की जो प्रक्रिया है

भारतीय संविधान की विशेषता यह है कि इसमें दुनिया के सभी देशों के संविधान की अच्छी चीजों को समाहित किया गया है. ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आदिश अग्रवाला का ऐसा ही कहना है, जिन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में संविधान से जुड़े कुछ अन्य बिंदुओं पर अपने विचार साझा किए.

ADISH
डॉ. आदिश

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Published : Nov 28, 2019, 7:12 AM IST

नई दिल्ली : डॉ. आदिश अग्रवाला ने कहा कि संविधान में संशोधन की जो प्रक्रिया है, वह उतनी सरल नहीं है कि कोई भी संशोधन आसानी से किया जा सके. उन्होंने देश में अब तक हुए संशोधनों को लेकर कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में अलग-अलग विचारों के लोगों का होना जरूरी है.

उन्होंने विचारधाराओं के आधार पर संविधान में संशोधन को लेकर कहा कि इसमें कोई बुराई नहीं है. अगर दो तिहाई लोग संशोधन की मांग करते हैं, तो उन्हें लागू कर देना चाहिए.

हमारे संविधान निर्माता भी समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे
अयोध्या मामले का जिक्र करते हुए डॉ. अग्रवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों ने भी लोगों के विचारों का सम्मान किया. उन्होंने कहा, 'संविधान हमें इजाजत देता है कि अगर कोई कोर्ट के फैसले सहमत नहीं है, तो वह पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है.'

डॉ. आदिश ने समान नागरिक संहिता के बारे में कहा, 'हमारे संविधान निर्माता संविधान लिखते समय भी चाहते थे कि देश में समान नागरिक संहिता लागू की जाए, लेकिन देश के बंटवारे के चलते वे इसे लागू नहीं कर पाए थे.'
संविधान के 70 साल पूरे होने पर डॉ. अग्रवाला ने कहा, 'हमारे देश में प्रधानमंत्री की कैबिनेट में मंत्रियों की तादाद बहुत अधिक है. ऐसे में पैसा भी खर्च होता है. इसलिए हमें अमेरिका की तरह कैबिनेट को खत्म कर देना चाहिए.'

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