नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि अयोध्या विवाद का फैसला यदि हिन्दुओं के पक्ष में जाता है तो भी देशभर में 'जश्न का जुलूस' नहीं निकाला जाएगा. इसके साथ ही आरएसएस ने देशभर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने का भी समर्थन किया है.
सरसंघचालक मोहन भागवत की मौजूदगी में आरएसएस की समन्व्य समिति की राजधानी में हुई बैठक में ये दो अहम निर्णय लिये गये. विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) भी इस बैठक का हिस्सा थी, क्योंकि वह आरएसएस की प्रमुख शाखा है.
दो दिनों तक चली बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि 17 नवम्बर को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुनाते हैं, तब भी न तो आरएसएस और न ही उसकी शाखा विहिप द्वारा जश्न का जुलूस निकाला जाएगा.
यह फैसला आरएसएस के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उसने कहा था कि सभी को फैसले का सम्मान करना चाहिए. इसके साथ ही आरएसएस ने देशभर से शांति और सद्भाव बनाये रखने के लिए अपील की थी. इस निर्णय ने न केवल भारतीय जनता पार्टी को राहत दी बल्कि उसके चेहरे पर मुस्कान भी ला दी.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्न मोदी ने हाल ही में अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद राजनीतिक दलों द्वारा प्रदर्शित 'परिपक्वता' की प्रशंसा की थी, इसके बाद मामले की चुनौती शीर्ष अदालत में दी गयी थी.
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बता दें कि अक्टूबर में मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
आरएसएस की इस बैठक में भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी नड्डा और महासचिव बी.एल संतोष उपस्थित थे.
गौरतलब है कि यह महत्वपूर्ण बैठक हरिद्वार में होने वाली थी, लेकिन संघ ने इस कार्यक्रम और अंतिम निर्णय से पहले होने वाली समारोह को रद्द कर दिया है और भारत भर में एनआरसी की तरफ जाने के लिए कहा है.