रीवा (मध्य प्रदेश): कहते हैं इरादे अगर मजबूत हों तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. हम बात कर रहे हैं रीवा के मऊगंज स्थित हरजई मुड़हान गांव की, जहां के रहने वाले कृष्ण कुमार के बचपन से ही दोनों हाथ नहीं थे, इसके बावजूद उसने 12वीं की परीक्षा पैरों से लिखकर दी और 82 फीसदी अंक हासिल कर सबको हैरान कर दिया.
कृष्ण कुमार के बुलंद हौसले के आगे मजदूर पिता की गरीबी भी आड़े नहीं आई. पढ़ाई के लिए हर दिन 10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचने वाले इस होनहार छात्र ने उत्कृष्ट विद्यालय मऊगंज के टॉप टेन छात्रों में जगह बनाई है. कृष्ण कुमार बेहद गरीब होने के बावजूद भी आगे की पढ़ाई कर कलेक्टर बनने की ख्वाहिश रखता है.
दिव्यांग कृष्ण कुमार के दोनों हाथ मां की कोख में ही गल गए थे. बढ़ती उम्र के साथ कृष्ण कुमार ने अपने पैरों को ही हाथ बना लिया और 12वीं की परीक्षा पैरों से लिखकर 82% अंक अर्जित किए. उसकी इस उपलब्धि से पूरा परिवार गदगद है.
कृष्ण कुमार ने अपने तीन भाई और चार बहनों के बीच ना केवल चलना सीखा, बल्कि पढ़ाई में भी मन लगाया. बचपन से ही पैरों से सारे काम करने का हुनर खुद ही विकसित किया और मजबूत इरादे और बुलंद हौसले से वह मुकाम हासिल किया, जो कई हाथ वाले भी नहीं कर पाए.