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सीमा विवाद के ठोस समाधान पर जोर देते रहे हैं भारत-चीन के सैन्य अधिकारी - indian and chinese soldiers

भारत और चीन के बीच हालिया गतिरोध को लेकर छह जून को सैन्य स्तर की बैठक हुई थी. हालांकि चीन द्वारा पीछे हटने का कदम सिर्फ एक इरादे का प्रदर्शन हो सकता है क्योंकि इस विवाद का कोई ठोस समाधान निकलता नहीं दिख रहा है. सैन्य सूत्रों के मुताबिक गत 10 जून भी दोनों देशों की सेनाओं के अधिकारियों के बीच अहम बैठक प्रस्तावित थी.

india china border dispute
प्रतीकात्मक फोटो

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Published : Jun 9, 2020, 10:41 PM IST

Updated : Jun 16, 2020, 1:47 PM IST

नई दिल्ली : शीर्ष सैन्य सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक भारत चीन के बीच सैन्य स्तर की बैठकें भविष्य में भी जारी रहेंगी. बीते 10 जून को फिर से ब्रिगेड कमांडरों और स्थानीय अधिकारियों के बीच बैठक हुई. सैन्य सूत्रों के मुताबिक अप्रैल की स्थिति को बहाल करने में समय लगेगा. विशेष रूप से तब जब दोनों सेनाओं ने बड़ी संख्या में सैन्य बलों को तैनात कर दिया है.

दरअसल, भारत और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में चार बिंदुओं को लेकर चल रही रस्साकशी पर आठ जून, सोमवार को विराम लग गया. दरअसल, चीन ने सीमाई क्षेत्र से अपने सैन्य बल को पीछे हटा लिया है. हालांकि, चीन द्वारा पीछे हटने का कदम सिर्फ एक इरादे का प्रदर्शन हो सकता है, क्योंकि इस विवाद का कोई ठोस समाधान निकलता नहीं दिख रहा है.

बता दें कि आठ जून, सोमवार को चीनी सेना ने अपने सैनिकों, तोपखानों, भारी लड़ाकू वाहनों और अन्य सैन्य उपकरणों को मुख्य बिंदुओं से पीछे कर लिया. इसी बीच भारतीय सेना भी इन बिंदुओं से पीछे हट गई.

एक शीर्ष सैन्य सूत्र ने ईटीवी भारत से बताया कि अब तक दोनों सेनाओं के बीच बातचीत में सैन्य बलों के स्थान और अप्रैल की स्थिति को पुनः बहाल करने पर चर्चा हुई है.

उल्लेखनीय है कि इस पूरे विवाद में भारतीय और चीनी सेना के बीच कई हिंसक झड़पें हुई थीं. ऐसी ही गंभीर स्थिति पांच मई को लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर पैदा हो गई थी, जिसमें कम से कम 75 सैनिक घायल हो गए थे.

हालिया गतिरोध को लेकर लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट-जनरल हरेंद्र सिंह और पीएलए के दक्षिण झिंजियांग सैन्य जिले के कमांडर मेजर-जनरल लिन लियू (भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट-जनरल के समकक्ष) के बीच छह जून को बैठक हुई थी.

दिलचस्प बात यह है कि प्रतिनिधिमंडल से मिलने से पहले दोनों लेफ्टिनेंट-जनरलों के बीच एक घंटे तक बात हुई थी. लेफ्टिनेंट-जनरल स्तर की बैठक सीमा रेखा पर उपजे तनाव को लेकर हुई थी. इससे पहले ब्रिगेडियर और प्रमुख सैन्य अधिकारियों के स्तर पर कई बैठकें हो चुकी हैं.

एक अन्य शीर्ष सैन्य सूत्र ने बताया कि सैन्य स्तर की बैठकें आगे भी जारी रहेंगी. 10 जून को फिर से ब्रिगेड कमांडरों और स्थानीय अधिकारियों के बीच बैठक होगी. फिर भी अप्रैल की स्थिति को बहाल करने में समय लगेगा. विशेष रूप से तब जब दोनों सेनाओं ने बड़ी संख्या में सैन्य बलों को तैनात कर दिया है.

सूत्र से यह पूछे जाने पर कि विवाद का मुख्य कारण क्या है? क्या चीन ने पहले इसे बढ़ावा दिया? सूत्र ने कहा कि जाहिर है कि सीमा पर बुनियादी ढांचा निर्माण करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसका कारण चीन द्वारा टेंट, अन्य अस्थाई संरचनाएं और भंडार जमा करना है.

यदि भारत सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे और सड़कों का निर्माण करता है तो इसके खिलाफ चीन द्वारा आपत्ति उठाना प्रमुख कारण है.

इस कारण तत्काल रूप से कोई स्थाई समाधान निकलते नहीं दिख रहा है, क्योंकि बुनियादी ढांचे के मुद्दे पर कूटनीतिक स्तर पर चर्चा की जाएगी. इस समय यह गतिरोध अस्थाई तौर पर रोका जाएगा.

ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन भारत की सड़क निर्माण गतिविधि का समर्थन नहीं करता है. भारत निर्माण कार्य के लिए प्रतिबद्ध है. भारत ने कहा है कि उसकी सड़क निर्माण गतिविधि जारी रहेगी.

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सीमाई क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए पूर्वी लद्दाख में लगभग 12 हजार मजदूरों को लाने की योजना पहले ही सक्रिय हो चुकी है. भारत का लक्ष्य 2022 में अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क निर्माण को पूरा करना है. यह चीन की उस नीति के लिए है, जो पहले ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के सीमा तक सड़क निर्माण को पूरा कर चुका है.

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एक अनुमान है कि दोनों सेनाएं अक्टूबर तक सीमा से हट जाएंगी, क्योंकि उसके बाद ठंड के बीच इस तरह की बर्फीली ऊंचाई पर जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. सर्द मौसम के कारण तापमान माइनस 20 डिग्री से नीचे गिर जाता है.

(संजीब कुमार बरुआ)

Last Updated : Jun 16, 2020, 1:47 PM IST

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