नई दिल्ली : सुरक्षा परिषद की 16 जनवरी, 1948 को हुई 228वीं बैठक में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री और संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि सर मोहम्मद जफरुल्ला खान ने यह स्पष्ट किया था कि गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू एवं कश्मीर राज्य का एक हिस्सा है.
मार्च 1963 में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को लिखा था कि मेरे लिए यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि जम्मू एवं कश्मीर का क्षेत्र संघ के क्षेत्र का हिस्सा नहीं है, जम्मू एवं कश्मीर का क्षेत्र जम्मू एवं कश्मीर के लोगों का है.
पिछले साल पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश मियां साकिब निसार की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय पीठ ने भी कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को सील करते हुए गिलगित-बाल्टिस्तान को जम्मू एवं कश्मीर राज्य का हिस्सा घोषित किया था.
वर्ष 2014 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) विधानसभा के नेतृत्व में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव का उल्लेख किया गया था, गिलगित-बाल्टिस्तान को पांचवां प्रांत बनाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जम्मू एवं कश्मीर पर पाकिस्तान का राष्ट्रीय रुख कमजोर होगा.
मुस्लिम लीग नवाज, मुस्लिम कांफ्रेंस, पीपुल्स पार्टी ऑफ पाकिस्तान, जमात-ए-इस्लामी, आजाद कश्मीर पीपल्स पार्टी और अन्य राजनीतिक दलों का भी एक स्पष्ट संदेश रहा है, जिसमें कहा गया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का एक प्रांत बनाने से जम्मू-कश्मीर के विवादित क्षेत्र के लिए विनाशकारी परिणाम होंगे.
यहां तक कि सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक जैसे अलगाववादी नेताओं ने भी मार्च 2016 में इसी तरह के एक प्रस्ताव का विरोध किया था, जो कि पाकिस्तान के अंतर-प्रांतीय समन्वय मंत्री रियाज हुसैन पीरजादा द्वारा जारी किया गया था, जिसमें तर्क दिया गया था कि गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का पांचवां प्रांत घोषित करने का कोई भी प्रस्ताव अस्वीकार्य है, क्योंकि यह कश्मीर के विवादित स्वरूप को बदलने के समान है.