भोपाल : मध्य प्रदेश में जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद शराबबंदी को लेकर शिवराज सरकार और भाजपा के बीच मतभेद सामने आने के बाद सियासत तेज हो गई है. विपक्षी कांग्रेस ने भी हमला तेज कर दिया है. एक तरफ शिवराज सरकार जहां जहरीली शराब से हुई मौतों की जिम्मेदारी से बचने के लिए लिए शराब दुकानों की कमी को बड़ी वजह बता रही है. इसी के चलते सरकार ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों से नई शराब दुकान खोले जाने को लेकर प्रस्ताव मांग लिया है.
जबकि मुख्यमंत्री पहले भी कई बार घोषणा कर चुके हैं कि प्रदेश में एक भी नई शराब दुकान नहीं खोली जाएंगी. दूसरी तरफ प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय नेता उमा भारती मध्य प्रदेश में शराबबंदी की पैरवी कर रही हैं.
प्रदेश में केवल उज्जैन, रतलाम और मुरैना में सालभर में नकली व जहरीली शराब पीने से करीब 50 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं मुरैना में अब भी जहरीली शराब से हुई मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है.
जिम्मेदारी से बचने एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे
मध्य प्रदेश में पिछले एक साल में जहरीली शराब से करीब 50 लोगों की मौत हो चुकी है. हाल ही में मुरैना में जहरीली शराब पीने से 25 लोग दम तोड़ चुके हैं और कई की हालत गंभीर है. इसको लेकर शिवराज सरकार के विभाग एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जिम्मेदार अफसर भी इससे पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
गृह व आबकारी विभाग में तनातनी
अवैध शराब और जहरीली शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी गृह और आबकारी विभाग दोनों की होती है. लेकिन मुरैना में जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद दोनों विभाग एक-दूसरे को सीधे तौर पर तो जिम्मेदार नहीं ठहरा रहे हैं. लेकिन बयानबाजी कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं.
राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या कम होने से बड़े पैमाने पर जहरीली और नकली शराब माफिया सक्रिय हैं, इस वजह से मौतें हो रही हैं. गृह मंत्री शराब दुकान बढ़ाए जाने की पैरवी कर रहे हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा शराब दुकानें बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय न होने के बयान के बाद भी अपने बयान पर कायम हैं.