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मध्य प्रदेश : 'लव जिहाद' में 10 साल तक की सजा, विधेयक का मसौदा तैयार

प्रदेश सरकार ने एमपी धर्म स्वातंत्र्य विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया है. इस कानून के तहत लव जिहाद के आरोपी को 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है, साथ ही इस विधेयक में शादी करवाने वाली संस्था का पंजीयन भी निरस्त किए जाने का प्रावधान है.

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लव जिहाद

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Published : Nov 25, 2020, 7:40 PM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश सरकार ने एमपी धर्म स्वातंत्र्य विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया है. इस कानून के तहत लव जिहाद के आरोपी को 10 की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही इस विधेयक में शादी करवाने वाली संस्था का पंजीयन भी निरस्त किए जाने का प्रावधान है. लव जिहाद के खिलाफ विधेयक लाने की तैयारी कर रही मध्य प्रदेश सरकार अब जबरिया धर्मांतरण कराने के मामले में आरोपी को 10 साल तक की सजा का प्रावधान कर सकती है. इससे पहले पांच साल की सजा का प्रवधान किए जाने पर विचार किया जा रहा था.

आगामी विधानसभा सत्र में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक लाने की तैयारी है. प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक- 2020 का मसौदा तैयार करने के लिए भोपाल स्थित मंत्रालय में बैठक की. इसमें सजा का प्रावधान पांच साल से बढ़ाकर 10 साल करने पर सहमति बनी है.

गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दी प्रतिक्रिया

ईटीवी भारत से बोले गृह मंत्री
मध्य प्रदेश सरकार लव जिहाद को लेकर सख्त नजर आ रही है, इसको लेकर आने वाले विधानसभा सत्र में विधेयक भी पारित किया जा सकता है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि आने वाले समय में कोई भी प्रदेश की बहन बेटियों के साथ अन्याय नहीं कर सकेगा. गृह मंत्री ने कहा कि इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा, दिसंबर में होने वाले आगामी विधानसभा सत्र में ये कानून पारित किया जाएगा.

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आरोपी को होगी 10 साल की सजा
प्रस्तावित 'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक' में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कानून की तर्ज पर ही सजा का प्रावधान किया गया है. बहला-फुसलाकर या फिर जबरन धर्मांतरण और विवाह करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं और उन्हें वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के पंजीयन निरस्त होंगे. विधेयक का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा.

क्या हुआ बैठक में ?
बुधवार को गृह विभाग की बैठक गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में की गई, जिसमें अधिकारियों ने गृह मंत्री के सामने प्रस्तावित विधायक का ड्राफ्ट प्रस्तुत किया. इस ड्राफ्ट में उत्तर प्रदेश सरकार के विधेयक की तरह ही 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

संस्थाओं पर क्या कार्रवाई होगी ?
बैठक में तय हुआ की, ऐसी गतिविधियों को संचालित करने वाली संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. बगैर आवेदन धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरुओं को भी पांच साल की सजा होगी.

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क्या होंगे शादी के नियम ?
धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह से एक माह पहले जिला कलेक्टर कार्यालय में आवेदन करना होगा. कलेक्टर दोनों पक्षों और उनके परिजनों को नोटिस देकर तलब करेगा और उनसे लिखित बयान लिए जाएंगे, की विवाह या धर्मांतरण जोर जबरदस्ती से तो नहीं किया जा रहा है. इसके बाद ही कलेक्टर द्वारा अनुमति दी जाएगी. यदि बिना आवेदन प्रस्तुत किए, किसी काजी, मौलवी या पादरी द्वारा धर्म परिवर्तन और विवाह कराया जाता है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

परिजन कर सकेंगे शिकायत
बहला-फुसलाकर या धोखे में रखकर विवाह और धर्मांतरण कराने के मामले में पीड़ित, उसके माता-पिता और परिजन के द्वारा भी शिकायत की जा सकेगी. यह अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा. इस प्रकार का धर्मांतरण या विवाह आरोपी को स्वयं ही प्रमाणित करना होगा, कि वो बगैर किसी दबाव के, बगैर किसी धमकी के, किसी लालच के बिना किया गया है. इस कानून के तहत विवाह को शून्य भी कराया जा सकेगा.

सरकार समझेगी कानून की बारीकी
'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक' को फाइनल रूप देने से पहले सरकार अन्य राज्यों में अध्ययन दल भेजकर कानून की बारीकियां समझेगी. उसके बाद ही इस मसौदे को तैयार माना जाएगा और उसे कैबिनेट में पास कराने के बाद विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा.

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