नई दिल्ली : दुबई से 191 यात्रियों को लेकर आ रही एयर इंडिया की फ्लाइट शुक्रवार को केरल के कोझीकोड में लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई. इस घटना से पूरा देश में सदमे में है. जानकारों का कहना है कि दुर्घटना को टाला जा सकता था. अगर नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 2011 के उस पत्र से सबक लिया होता, जिसमें हवाई अड्डे के रनवे 10 पर टेलविंड परिस्थितियों में विमान की लैंडिंग को लेकर चेतावनी दी गई थी.
वेट (गीले) ऑपरेशन प्रशिक्षण, विमानन सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन ने 17 जून, 2011 को तत्कालीन नागरिक उड्डयन सचिव नसीम जैदी और डीजीसीए प्रमुख भारत भूषण को पत्र में लिखकर कहा था कि रनवे 10 पर उतरने वाली सभी उड़ानें टेलविंड परिस्थितियों में हैं, जिससे बारिश के दौरान सभी विमानों पर दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा है.
उन्होंने कहा कि कोझीकोड रनवे 10 के एक छोर पर न्यूनतम RESA (रनवे एंड सेफ्टी एरिया) और दूसरे छोर पर RESA नहीं है. रनवे स्ट्रिप ICAO (अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन) एनेक्स 14 में रखी गई न्यूनतम चौड़ाई का आधा है.
यह तथ्य डीजीसीए टीम को पता था, जो पिछले कई वर्षों के दौरान निरीक्षण और सुरक्षा का आकलन कर रही है.
उल्लेखनीय है कि इसी पत्र में मंगलुरु में 2010 में हुई एयर इंडिया एक्सप्रेस दुर्घटना का जिक्र भी था.
इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर एविएशन एयरोस्पेस एंड ड्रोन्स के चेयरमैन सनत कौल ने कहा, 'शुक्रवार को लैंडिंग के लिए मौसम की स्थिति खराब थी और लैंडिंग के दौरान टेलविंड भी था, जिसके कारण यह विमान हादसा हुआ.'
उन्होंने कहा, 'क्योंकि मंगलुरु और कालीकट क्षेत्र कमोबेश समान हैं, सरकार कम से कम मॉनसून के मौसम के दौरान हवाई जहाजों के उतरने की अनुमति नहीं देने का फैसला कर सकती थी.'