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फारूक अब्दुल्ला जैसे नेताओं को हिरासत में रखना खुली नाइंसाफी : मीम अफजल - गुलाम नबी आजाद

फारूक अब्दुल्ला की रिहाई के बाद उनसे मुलाकात करने वाले नेताओं में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद भी शामिल रहे. इस मुलाकात को लेकर कांग्रेस नेता मीम अफजल ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला सरीखे नेताओं को, जिन्होंने जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने में अहम भूमिका निभाई हो, सात महीने तक एक देशद्रोही के रूप में नजरबंद करके रखना बेहद शर्मनाक था.

मीम अफजल
मीम अफजल

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Published : Mar 14, 2020, 10:27 PM IST

नई दिल्ली : सात महीने के बाद नजरबंदी से रिहा हुए फारूक अब्दुल्ला से शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर घाटी में मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा में नेता विपक्ष आजाद केंद्र सरकार पर जम कर भड़के और उन्होंने अनुछेद 370 हटाने के मामले को जम्मू-कश्मीर के लोगों का अपमान भी करार किया.

बता दें कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत सैकड़ों राजनीतिज्ञों को हिरासत में ले लिया गया था. इसका कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत से ही पुरजोर विरोध किया था. कांग्रेस ने इस निर्णय पर केंद्र सरकार से सवाल करते हुए यह भी पूछा था कि तीनों नेताओं को नजरबंद करने का क्या कारण है और क्या केंद्र सरकार इन्हें देशद्रोही मानती है?

ईटीवी भारत से बात करते मीम अफजल

पूर्व सांसद व कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने इस मसले पर ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा, 'इतने सारे राजनीतिज्ञों और नेताओं को हिरासत में रखना खुली नाइंसाफी थी. एक ऐसे नेता को, जिन्होंने जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने में इतनी अहम भूमिका निभाई हो, सात महीने तक एक देशद्रोही के रूप में नजर बंद करके रखना बेहद शर्मनाक था. आने वाले समय में इस जुर्म के लिए भारतीय जनता पार्टी को हिसाब देना पड़ेगा.'

हालांकि गुलाम नबी आजाद और फारूक अब्दुल्ला की भेंट को निजी करार देते हुए मीम अफजल ने कहा कि गुलाम नबी जम्मू-कश्मीर के बड़े नेता हैं और उनके फारूक अब्दुल्ला के साथ बहुत करीबी रिश्ते हैं. इसलिए उनकी मुलाकात को राजनीतिक रूप से देना गलत होगा.

फारूक अब्दुल्ला से भेंट करने के बाद गुलाम नबी आजाद ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर में विकास चाहिए, तो नेताओं को छोड़ना होगा, उनको रिहा करना होगा. वह राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करनी होगी, जिसके लिए जम्मू-कश्मीर में चुनाव बेहद जरूरी है.

पढ़ें- अब्दुल्ला से मिलने के बाद आजाद बोले- पिंजरे में रखने से नहीं होगी कश्मीर की तरक्की

गौरतलब है कि पिछली बार जम्मू-कश्मीर की सरकार पीडीपी और भाजपा ने साथ आकर बनाई थी, लेकिन कुछ समय बाद दोनों पार्टियां अलग हो गई थीं. जम्मू-कश्मीर में चल रही राजनीतिक गतिविधियों से ऐसा माना जा रहा है कि अगर इस बार वहां चुनाव होते हैं तो नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस साथ आ सकती है.

शुक्रवार को नजरबंदी से रिहा होने के बाद फारूक अब्दुल्ला ने भी दिल्ली आकर संसद सत्र में शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी. उन्होंने यह उम्मीद भी जताई थी कि बहुत जल्द उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी हिरासत से छोड़ दिया जाएगा. आगे आने वाले समय में कांग्रेस भी जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने की मांग कर सकती है.

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