श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर जन सुरक्षा कानून लगाने की वजह सामने आई है. सरकार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने जन मानस को भड़काने का काम किया है. सोशल मीडिया नेटवर्क पर आम जनता को भड़काने वाली उनकी टिप्पणियों का भी जिक्र किया गया है, जिससे सार्वजनिक व्यवस्था बिगड़ने की आशंका थी.
डॉजियर के मुताबिक राज्य के पुनर्गठन की पूर्व संध्या पर अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाने के विरुद्ध जन मानस को भड़काने के उमर के प्रयासों को उन्हें हिरासत में रखने का आधार बनाया गया है. उमर 2009-14 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने के समर्थन में जिन बातों का जिक्र किया गया है उनमें लोगों को प्रभावित करने की उनकी क्षमता, चुनाव बहिष्कार के आह्वान के बावजूद मतदान केंद्रों तक मतदाताओं को खींचने की क्षमता तथा किसी भी कार्य को लेकर जन ऊर्जा को उस दिशा में मोड़ने की ताकत रखने जैसी बातें शामिल हैं.
राष्ट्र विरोधी बयान बना आधार
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती के पीएसए डॉजियर में राष्ट्र विरोधी बयान देने और राज्य के जमात-ए-इस्लामिया जैसे संगठनों को समर्थन देने का आरोप है, जिन्हें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया है.
49 वर्षीय उमर के खिलाफ पुलिस ने जो पीएसए डॉजियर तैयार किया है उसमें आतंकवाद के चरम पर रहने के दौरान और अलगाववादियों एवं आतंकवादियों द्वारा चुनाव के बहिष्कार के बावजूद बड़ी संख्या में मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने का जिक्र है.
सोशल मीडिया पर भड़काऊ लेख
इन आधारों में अनुच्छेद 370 एवं 35-ए के फैसले के खिलाफ सोशल मीडिया नेटवर्क पर आम जनता को भड़काने वाली उनकी टिप्पणियों का भी जिक्र किया गया है, जिससे सार्वजनिक व्यवस्था बिगड़ने की आशंका थी.
आपको बता दें कि संचार माध्यमों पर पांच अगस्त से प्रतिबंध लागू हैं. बाद में धीरे-धीरे इनमें ढील दी गई. कुछ जगहों पर इंटरनेट काम कर रहा है. विशेष निर्देशों के साथ मोबाइल पर 2जी इंटरनेट की सुविधा शुरू हो गई है ताकि सोशल मीडिया साइटों का उपयोग नहीं हो.