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तिरुपति बालाजी मंदिर में पुराने नोटों का जखीरा, नहीं हो पा रहा उपयोग - तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम

विमुद्रीकरण (Dmonetization) के बाद, आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में भक्तों से चढ़ावे के रूप में एकत्र किए गए 50 करोड़ रुपये के नकद दान का उपयोग नहीं हो पा रहा है. यह चढ़ावा 50 करोड़ का बताया जा रहा है.

tirupati temple
तिरुपति मंदिर

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Published : Sep 16, 2020, 2:13 PM IST

अमरावती : नोटबंदी के बाद जो 50 करोड़ का नकद चढ़ावा आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में श्रद्धालुओं ने चढ़ाया है उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. 500 और 1000 के वह नोट जिनका चलन नोटबंदी के बाद से बंद हो चुका है, वैसे नोटों का जखीरा यानी की 50 करोड़ रूपये श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाया गया.

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 से 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण किया था, लेकिन भक्त अब भी यह नोट दानपेटी में डाल रहे हैं.

इसके चलते मंदिर को दान स्वरुप 1,000 रुपये के 1.8 लाख नोट मिले, जिससे 18 करोड़ रुपये जमा हुए. वहीं 500 रुपये के 6.34 लाख नोट मिले जिससे 31.7 करोड़ रुपये जमा हुए. कुल मिला कर लगभग 50 करोड़ रुपये इक्ट्ठा हुए.

तिरुपति मंदिर में इस पुरानी नकदी का उपयोग नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इन नोटों के चलन को चार साल पहले ही बंद कर दिया गया था.

इसको लेकर टीटीडी के अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अनुरोध किया है कि वह मंदिर को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) या किसी अन्य वाणिज्यिक बैंक में इस धन को जमा करने की इजाजत दी जाए जिससे इस राशि का उपयोग हो सके.

उन्होंने कहा कि एक बार मुद्रीकृत होने के बाद टीटीडी इस चढ़ावे का उपयोग कई आध्यात्मिक और कल्याणकारी गतिविधियों में करेगा.

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बता दें कि पुराने नोटों को लेकर टीटीडी ने 2017 में भी केंद्रीय वित्त मंत्रालय और आरबीआई को एक लिखा था, लेकिन इस पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी.

टीटीडी के अध्यक्ष ने कहा कि मंदिर भक्तों को पुराने नोट देने से नहीं रोक सकता क्योंकि यह उनकी आस्था और धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है. उन्होंने वित्तमंत्री सीतारमण से अनुरोध करते हुए कहा है कि यह मुद्दा भक्तों की आस्था और भावनाओं से जुड़ा हुआ है इसलिए मंदिर को आरबीआई या किसी अन्य बैंक में इस धन को जमा करने की इजाजत दी जाए.

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