दिल्लीः महिलाओं की सुरक्षा को लेकर देश के दोनों सदनों में लगातार चर्चाएं चल रही है. इस समय सदन में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 में सशोंधन को लेकर बहस तेज हो गई है. नंदिता प्रधान ने कहा कि केंद्र के साथ राज्यों को भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाना चाहिए.
इस कानून पर मार्था फैरेल फाउंडेशन (एनजीओ) की निदेशिका नंदिता प्रधान ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि कार्यस्थल की परिभाषा को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन(ILO) कन्वेंशन 190 के साथ देखने और उस तक विस्तार करने की जरूरत है.
नंदिता प्रधान ने कार्यस्थल पर कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न को परिभाषित करते हुए बताया कि इसमें कोई व्यक्ति महिला को कार्यस्थल पर फायदा पहुंचाने के लिये उससे निजी फायदे यौन संबध बनाने की कोशिश करता है. महिला को छूना, आंख मारना, किसी महिला से मौखिक या अमौखिक तरीके से यौन प्रकृति का अशालीन व्यव्हार करना भी यौन उत्पीड़न है.
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बता दें कि 18 जुलाई को केंद्र सरकार ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न पर रोकने लिए मंत्रियों के एक समूह का दोबारा गठन किया है. जिसकी अध्यक्षता गृहमंत्री अमित शाह करेंगे. समूह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी है.