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एशियाटिक शेरों को रेडियो कॉलर लगाना बंद करें : रास में उठी मांग

गिर के शेर हमारे देश में गौरव का प्रतीक माने जाते हैं. यहां रेडियों कॉलर लगाए जाने से करीब 25 फीसदी एशियाटिक शेरों की मौत का दावा किया गया है. जिसे रोकने के लिए गुरुवार को राज्यसभा में मांग की गई.

Asiatic lions died
एशियाटिक शेर

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Published : Sep 17, 2020, 12:34 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा में गुरुवार को एशियाटिक शेरों को रेडियो कॉलर नहीं लगाए जाने की मांग उठी. सदन में एक सदस्य ने चर्चा के दौरान दावा किया कि रेडियो कॉलर लगाए जाने से देश में करीब 25 फीसदी एशियाटिक शेरों की मौत हुई है. इसलिए पशुओं को बचाने के लिए उन्हें रेडियो कॉलर नहीं लगाया जाना चाहिए.

शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि एशियाटिक शेरों की मृत्युदर बढ़ने का मुख्य कारण रेडियो कॉलर है.

गोहिल ने कहा, 'रेडियो कॉलर का वजन करीब ढाई किलोग्राम का होता है और शेर के शावकों को यह कॉलर लगाया जाता है जिससे साफ तौर पर उनका विकास बाधित होता है.'

उन्होंने कहा कि 'एशियाटिक शेर यानी गिर के शेर हमारे लिए गौरव की बात हैं और वह दुर्लभ प्राणी हैं. इन्हें अवैज्ञानिक तरीके से रेडियो कॉलर लगाया गया. विशेषज्ञों ने साफ कहा है कि प्रोटोकॉल तोड़ कर उन्हें रेडियो कॉलर नहीं लगाया जाना चाहिए.' गोहिल ने कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार, छह फीसदी से अधिक शेरों को यह रेडियो कॉलर नहीं लगाया जाना चाहिए.

उन्होंने दावा किया कि 25 फीसदी एशियाटिक शेरों की मौत का कारण यही रेडियो कॉलर है.

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गोहिल ने एशियाटिक शेरों को रेडियो कॉलर नहीं लगाने की मांग की. उन्होंने यह भी मांग की कि एशियाटिक शेरों को अब तक अवैज्ञानिक तरीके से रेडियो कॉलर लगाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए.

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