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दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में, दीपावली पर ऐसी ही स्थिति रहने की आशंका

दिल्ली के कई क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता खतरनाक श्रेणी में बनी हुई है. इसकी एक वजह पराली जलाना है. केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने बताया कि दीपावली पर भी शहर की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी रह सकती है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Nov 8, 2020, 9:19 AM IST

नई दिल्ली : पंजाब और निकटवर्ती क्षेत्रों में शनिवार को इस मौसम में पराली जलाए जाने की सबसे अधिक घटनाएं हुई जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार की सुबह वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही.

दिल्ली के लिए केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने बताया कि दीपावली पर भी शहर की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में ही बने रहने की आशंका है. उसने बताया कि शुक्रवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पराली जलाने की 4,528 घटनाएं हुईं.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मोबाइल ऐप समीर के मुताबिक शनिवार सुबह दिल्ली का कुल वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 443 और शाम को 427 दर्ज किया गया.

विशेषज्ञों ने बताया कि हालांकि मौसम संबंधी परिस्थितियां प्रदूषकों के बिखराव के लिए थोड़ी अनुकूल हैं, लेकिन वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रहने का मुख्य कारण पंजाब में पराली जलाने की अधिक घटनाएं रहीं.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के हवा गुणवत्ता निगरानी केंद्र सफर ने बताया कि शनिवार सुबह दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 443 रहा.

उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बेहद खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर श्रेणी में माना जाता है.

सफर की ओर से बताया गया, कुल एक्यूआई गंभीर श्रेणी में पहुंच गया. दिन के समय प्रदूषक तत्वों के बिखराव के लिए अनुकूल स्थिति के बावजूद, हवा की गुणवत्ता खराब होती गई और इसकी वजह है पराली जलाने की सामान्य से अधिक घटनाएं लगातार होना. शनिवार की सुबह सतह की हवा की गति धीमी रही जिसके कारण प्रदूषक तत्व जमा हुए.

इसमें यह भी बताया गया कि शनिवार को दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 कणों के स्तर में पराली जलाने की भागीदारी लगभग 32 फीसदी रही.

सफर ने बताया ऐसा अनुमान है कि आठ और नौ नवंबर को सतही हवाओं की गति में कमी आएगी. पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी नहीं आती है तो हालात बेहतर होने की कोई उम्मीद नहीं है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 का स्तर सुबह नौ बजे 486 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा. पीएम 2.5 का स्तर सुबह नौ बजे 292 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा. देश में 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पीएम 10 को और 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पीएम 2.5 को सुरक्षित माना जाता है.

दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने बताया कि पंजाब में पराली जलाने के अत्यधिक मामले (करीब 4,000) सामने आए. इसके कारण दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमोत्तर भारत के अन्य हिस्सों में वायु गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका है.

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उसने बताया कि 13 नवंबर को एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी की ऊपरी सीमा और 14 नवंबर (दीपावली) को गंभीर श्रेणी में रहने की आशंका है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार शुक्रवार को वायु की अधिकतम गति 14 किलोमीटर प्रति घंटा रही और न्यूनतम तापमान 11.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मंद गति की हवा और कम तापमान के कारण प्रदूषक जमीन के निकट रहते हैं, लेकिन वायु की अनुकूल गति के कारण उनके बिखराव में मदद मिलती है.

आईएमडी के पर्यावरण निगरानी अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने कहा, पंजाब में पराली जलाने की अत्यधिक घटनाएं क्षेत्र में वायु गुणवत्ता के गंभीर श्रेणी में रहने का प्राथमिक कारण हैं.

सफर ने कहा कि दिल्ली में पीएम 2.5 के कारण होने वाले प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी शुक्रवार को 21 प्रतिशत रही. यह बृहस्पतिवार को 42 प्रतिशत रही, जो इस मौसम में सर्वाधिक थी.

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