नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (सीएए) को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप धारण कर लिया है. हिंसक घटनाओं में 24 लोगों की मौत हुई है, जबकि 170 से ज्यादा घायल हुए हैं. हिंसा को लेकर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे हैं. हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से कहा है कि वीडियो देख कर हिंसा भड़काने के दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज की जाए. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से गुरुवार तक जवाब मांगा है. कपिल मिश्रा के अलावा केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा पर भी प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है. बता दें कि अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा पर भी भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे हैं.
कपिल मिश्रा पर लगे आरोपों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने कहा है कि अपराध का खुलासा होने पर कपिल मिश्रा पर प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि एफआईआर दर्ज न करने वालों पर कार्रवाई की जा सकती है. मामले का खुलासा होने पर एफआईआर जरूरी है.
सीएए हिंसा के संबंध में बुधवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को तीन भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में 'विवेकपूर्ण निर्णय' लेने का निर्देश दिया. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के फैसले के बारे में गुरुवार तक जवाब भी मांगा.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि वह सिर्फ तीन वीडियो क्लिप के आधार पर कार्यवाही आगे नहीं बढ़ा रही है और पुलिस ऐसी अन्य क्लिप पर भी प्राथमिकी दर्ज करे.
जस्टिस एस मुरलीधर और अनूप जे भंभानी की पीठ के समक्ष दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन ने आश्वासन दिया कि वह आज पुलिस आयुक्त के साथ बैठेंगे और सभी वीडियो क्लिप देखेंगे. प्रवीर रंजन ने पीठ को बताया कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने के बारे में विवेकपूर्ण निर्णय लेगी.
सुनवाई के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस अधिकारी के नाम के बारे में भी पूछताछ की जो भाजपा नेता कपिल मिश्रा की वीडियो क्लिप में देखा गया था. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में सेना की तैनाती की दलील पर हाईकोर्ट ने कहा कि हम सेना की तैनाती के सवाल पर विचार नहीं करना चाहते. हमें अभी एफआईआर दर्ज करने के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए.
कोर्ट में हुई सुनवाई पर ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन, दिल्ली के स्टेट सेक्रेटरी सुनील कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट में पहले से दायर की गई याचिका में खुद भी हिस्सा बनी. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस और हिंसक घटनाओं पर पीठ की टिप्पणी सराहनीय है. उन्होंने कहा, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ऐसे व्यवहार कर रहे थे, जैसे वे भारत सरकार के वकील न होकर कपिल मिश्रा की पैरवी कर रहे हों.
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने सॉलिसीटर जनरल से कहा कि वह पुलिस आयुक्त से, भाजपा के तीन नेताओं द्वारा कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने को कहें.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हिंसाग्रस्त उत्तर पूर्वी दिल्ली से घायलों को निकालने में त्वरित कार्रवाई करने के लिए पुलिस की सराहना की. हाईकोर्ट ने कहा, आधी रात में आदेश दिए गए, तभी से पुलिस इनका पालन कर रही है और उत्तर पूर्वी दिल्ली से घायलों को इलाज के लिए निकाल रही है.
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