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कन्हैया कुमार पर चलेगा देशद्रोह का मुकदमा, दिल्ली सरकार ने दी अनुमति

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलेगा. दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. बता दें कि कन्हैया, उमर और अनिर्बान को करीब तीन साल पहले 'राष्ट्र विरोधी' नारे लगाने के लिए गिरफ्तार भी किया जा चुका है. हालांकि, अदालत से राहत मिलने के बाद तीनों फिलहाल जेल से बाहर हैं.

sedition case against Kanhaiya Kumar
कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा

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Published : Feb 28, 2020, 7:22 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 9:30 PM IST

नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलेगा. दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.

दरअसल, देशद्रोह के मामले में सीआरपीसी के सेक्शन 196 के तहत जब तक सरकार मंजूरी नहीं दे देती, तब तक अदालत आरोप-पत्र पर संज्ञान नहीं ले सकती. इसलिए कन्हैया कुमार के खिलाफ चलाए जा रहे देशद्रोह के मामले में दिल्ली सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य था.

ट्रायल में दोनों पक्ष रखेंगे साक्ष्य

कड़कड़डूमा कोर्ट के वकील मनीष भदौरिया ने बताया कि जेनएयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर वर्ष 2016 में जेएनयू परिसर के अंदर देश विरोधी नारे और नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया था. इस पूरे मामले पर दिल्ली पुलिस की ओर से चार्जशीट दाखिल कर दी गई. लेकिन इसे राज्य सरकार की ओर से मंजूर किया जाना होता है. इस बाबत अब केजरीवाल सरकार ने भी कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.

जानकारी देते वकील मनीष भदौरिया

इसके बाद अब यह मामला कोर्ट में जाएगा, जहां कन्हैया कुमार और सरकारी वकील अपना पक्ष रखेंगे. साथ ही जो मौजूदा एविडेंस अभी तक पुलिस को मिले हैं, वो भी पेश किए जाएंगे. हालांकि कन्हैया कुमार को भी एक मौका दिया जाएगा, जिसमें वह अपनी बात रख कर अपने आप को बेगुनाह साबित कर सकते हैं.

आरोप पत्र का विवरण

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गत 24 फरवरी को कन्हैया कुमार के खिलाफ दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी.

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत ऐसे सामान्य अनुरोध को लेकर ऐसा नहीं कर सकती.

याचिका में वर्ष 2016 के देशद्रोह मामले को लेकर समयबद्ध अभियोजन को मंजूरी देने की मांग की गई थी.

गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस बाबत दिल्ली सरकार को निर्देश देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद वकील शशांक देव सुधी ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी.

वकील शशांक देव ने अपनी दलील में कहा था कि तीन महीने के भीतर अभियोजन स्वीकृति पर फैसला दिया जाना था, लेकिन यह मामला दिल्ली सरकार के पास एक साल से अधिक समय से लंबित है.

कन्हैया कुमार प्रकरण में कब क्या हुआ...

क्या है घटनाक्रम

फरवरी, 2016

  • जेएनयू कैंपस में कुछ छात्रों द्वारा कथित रूप से राष्ट्र विरोधी नारे लगाए जाने के बाद देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया.

14 जनवरी, 2019

  • दिल्ली पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और सात कश्मीरी छात्रों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.
  • पुलिस ने आरोप पत्र में राजद्रोह, जानबूझ कर चोट पहुंचाना, जालसाजी, फर्जी दस्तावेज का उपयोग करना, गैरकानूनी रूप से इकट्ठे होना, दंगा और आपराधिक षड्यंत्र रचने जैसे आरोप लगाए हैं.

आरोप-पत्र में कन्हैया कुमार के अलावा जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा की बेटी अपराजिता के नाम भी शामिल हैं, लेकिन वे आरोपी के रूप में नहीं हैं.

कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के साथ-साथ जम्मू एवं कश्मीर के सात छात्रों पर भी देशद्रोह, गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने और आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप लगे हैं. जम्मू-कश्मीर के छात्रों के नाम-

  1. आकिब हुसैन
  2. मुजीब हुसैन
  3. मुनीब हुसैन
  4. उमर गुल
  5. रइया रसूल
  6. बशीर भट
  7. बशरत

पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत होने का दावा किया है. पुलिस ने गवाह के तौर पर जेएनयू कर्मियों और सुरक्षा कर्मियों समेत लगभग 90 लोगों की सूची बनाई है. आरोप-पत्र में सीसीटीवी और मोबाइल फुटेज को भी शामिल किया गया है.

Last Updated : Mar 2, 2020, 9:30 PM IST

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