नई दिल्ली : कोरोना को लेकर पूरी दुनिया एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है. इस लड़ाई में भारतीय सेना भी पीछे नहीं है. सोमवार को ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में भारत के रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने विस्तार से इसके बारे में अपनी राय साझा की.
डॉ कुमार ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के विभिन्न संगठन इस महामारी से लड़ने के लिए सरकार के प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तीनों सेनाएं इसमें सबसे आगे हैं. सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा देने में सर्वोत्तम भूमिका निभा रहा है, फिर चाहे वह संदिग्धों को आइसोलेट करने की बात हो या फिर उसे क्वारेन्टीन करना. अस्पताल में मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था करनी हो या फिर उनके लिए अन्य सुविधा जुटाना.
रक्षा सचिव ने कहा कि डीआरडीओ कई नवीन तकनीकों और समाधानों के साथ आया है. इसका तेजी से निर्माण हो रहा है. ये उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध हैं. ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड, भारत इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड और अन्य रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां भी अपने विनिर्माण सुविधाओं को परिवर्तित कर रही हैं ताकि मास्क, पीपीई और वेंटिलेटर और सेनिटाइजर और वेंटिलेटर समेत कोविड के खिलाफ संबंधित आवश्यकताओं के उत्पादन को बढ़ा सकें.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा एनसीसी और सेना के रिटायर सर्विसमेन स्वेच्छा से सेवा करने को आगे आए हैं. हम उन सबका धन्यवाद करते हैं. डॉ अजय कुमार 1985 बैच के केरल काडर के आईएएस अधिकारी हैं.
जब उनसे पूछा गया कि क्या कोरोना बायोलॉजिकल वारफेयर का हिस्सा हो सकता है. इस पर डॉ कुमार ने कहा, 'मैं निश्चिन्तता के साथ कुछ नहीं कह सकता हूं. लेकिन इस महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है और सब मिलकर उसके खिलाफ जीत हासिल जरूर करेंगे.'
चिकित्सा उपकरणों, विशेष रूप से वेंटिलेटर (जीवन रक्षक उपकरण), को हासिल करने को लेकर दुनिया के देशों के बीच रेस लगी है. भारत भी इस कमी का सामना कर रहा है. यहां पर भी रक्षा विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. डॉ कुमार ने कहा कि बीईएल को उत्पादन करने के लिए 30,000 वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया गया है. वे अपनी क्षमता बढ़ा रहे हैं. जून 2020 तक उनके पास प्रति दिन 500 वेंटिलेटर देने की क्षमता होगी. 500 वेंटिलेटर का एक दैनिक उत्पादन एक महीने में 15,000 टुकड़ों तक काम करता है.