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असम राइफल्स के नियंत्रण के लिए रक्षा और गृह मंत्रालय में जद्दोजहद - रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

असम राइफल्स भारत की पहली अर्धसैनिक बल है, जो 184 वर्ष पुरानी है. इसपर नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्रालय इस पर प्रशासनिक नियंत्रण रखता है, जबकि दक्षिण ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय परिचालन नियंत्रण बनाए रखता है. भारतीय सेना ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को एक प्रस्ताव दिया है, जिसमें असम राइफल्स (एआर) पर नियंत्रण की मांग की गई है. जानें विस्तार से...

असम राइफल्स (फाइल फोटो)

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Published : Oct 27, 2019, 12:09 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय सेना ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को एक प्रस्ताव दिया है, जिसमें असम राइफल्स (एआर) पर पुर्ण नियंत्रण की मांग की गई है. दरअसल यह 'अचरज' की बात है कि अबतक भारत के सबसे पुराने अर्धसैनिक बल दो मंत्रालयों के बीच में झूल रहा है.

ब्रिगेडियर रोमेल दहिया

बता दें, असम राइफल्स भारत की पहली अर्धसैनिक बल है, जो 184 वर्ष पुरानी है. इसे पहले 'कछार लेवी' कहा जाता था. असम राइफल्स पर दो ब्लॉक की मुख्य भूमिका हैं- दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्रालय इस पर प्रशासनिक नियंत्रण रखता है, जबकि दक्षिण ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय परिचालन नियंत्रण बनाए रखता है. इसका मतलब यह है कि वेतन और सेवा शर्तों के लिए गृह मंत्रालय पर निर्भरता है, लेकिन कर्तव्यों का निर्वहन में रक्षा मंत्रालय द्वारा नियंत्रित की जाती है.

इसी को लेकर रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत सेना ने इसके पुर्ण नियंत्रण की मांग कर दी है, लेकिन गृह मंत्रालय भी इसके नियंत्रण को लेकर रुची रखता है.

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इस पूरे मसले पर ब्रिगेडियर रोमेल दहिया ने कहा कि असम राइफल्स का सेना में विलय करने के रक्षा मंत्रालय के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के पास प्रशासनिक नियंत्रण है, जो केवल असम राइफल्स कर्मियों से संबंधित विभिन्न नीतियों को बनाता है और उनके लिए बजट गृह मंत्रालय द्वारा पारित किया जाता है. ये दोनों काम भी रक्षा मंत्रालय कर सकता है.

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