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डीडीसी चुनाव : दो क्षेत्रों में रोकी गई मतगणना, उम्मीदवार की नागरिकता बनी वजह

जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के लिए पहली बार चुनाव कराए गए हैं. चुनाव में पाकिस्तानी नागरिकता वाली दो महिलाएं भी प्रत्याशी थीं. हालांकि, आज मतगणना के दौरान एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में उनकी नागरिकता के आधार पर दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में मतगणना रोक दी गई है.

सोमाया सदफ
सोमाया सदफ

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Published : Dec 22, 2020, 3:53 PM IST

Updated : Dec 22, 2020, 4:28 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में डीडीसी चुनाव के लिए मंगलवार को जारी मतगणना के बीच अधिकारियों ने कहा कि उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिलों में डीडीसी के हाजिन-ए और ड्रगमुल्ला (Drugmulla) निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतों की गिनती रोक दी गई है.

इस मामले में ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए, अधिकारियों ने कहा कि मतगणना को रोक दिया गया, क्योंकि उम्मीदवार पाकिस्तान के हैं.

जानकारी के मुताबिक, जिन दो सीटों पर मतगणना रोकी गई है, वहां दो महिला उम्मीदवार शाजिया असलम और सोमाया सदफ पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से हैं और कश्मीर में स्थानीय निवासियों से विवाहित हैं.

दोनों क्रमशः बांदीपोरा के हाजिन-ए और कुपवाड़ा के ड्रगमुल्ला से डीडीसी चुनाव लड़ा है. दोनों निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में चुनाव मैदान में उतरी थीं. शाजिया असलम और सोमाया सदफ ने मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने क्षेत्रों में आक्रामक प्रचार किया था.

अधिकारी ने कहा कि दोनों उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल करते समय यह नहीं बताया कि वे पाकिस्तानी नागरिक हैं. इसीलिए हाजिन-ए और ड्रामुल्ला की इन दो सीटों के लिए मतगणना रोक दी गई है. अधिकारी ने आगे कहा कि इस संबंध में कोई निर्णय जल्द ही लिया जाएगा.

गौरतलब है कि सरकार की पुनर्वास नीति के तहत अपने परिवारों के साथ कश्मीर में रह रहीं पूर्व आतंकवादियों की पाकिस्तानी पत्नियों ने हाल ही श्रीनगर में प्रदर्शन किया था और स्थायी भारतीय नागरिकता की मांग की थी.

पढ़ें-जम्मू-कश्मीर : कुपवाड़ा से मैदान में पूर्व आतंकी की पत्नी, जानें मकसद

90 के दशक की शुरुआत में, कई कश्मीरी युवक आतंकी ट्रेनिंग के लिए एलओसी पार कर पीओके चले गए थे और बाद में वहां की स्थानीय महिलाओं से शादी कर ली थी.

साल 2010 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इन आतंकियों की वापसी के लिए पुनर्वास नीति की घोषणा की थी. जिसके तहत कई आतंकवादी हथियार छोड़कर नेपाल के रास्ते कश्मीर आए थे. उनके साथ उनकी पत्नियां भी आई थीं.

Last Updated : Dec 22, 2020, 4:28 PM IST

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