नई दिल्ली :ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने शुक्रवार को कहा है कि उसने 15 से अधिक संस्थागत एथिक कमेटी के पंजीकरण को निलंबित कर दिया है. दरअसल, टीका परीक्षण प्रक्रिया के दौरान स्वयंसेवक की मृत्यु हो गई थी, जिसपर DCGI ने इस कमेटी से गंभीर प्रतिकूल घटना को लेकर रेग्यूलेटरी संस्था को रिपोर्ट प्रस्तुत करने में करने को कहा था, लेकिन यह रिपोर्ट नहीं दे सकी.
DCGI के डॉ वी जी सोमानी ने नई दिल्ली में मीडिया से कहा कि 30 दिनों के भीतर गंभीर प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्ट पेश करने में विफल रहने के बाद अब तक 15 से अधिक संस्थागत एथिक कमेटी के पंजीकरणों को निलंबित किया गया है.
सोमानी कोविड-19 टीकों, नैदानिक परीक्षणों, सत्तारूढ़ समीक्षा और प्रतिकूल घटना निगरानी के लिए विनियामक मार्गों पर एक वेबिनार को संबोधित कर रही थीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि टीका परीक्षण प्रक्रिया के दौरान एथिक कमेटी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
एथिक कमेटी ने सभी परीक्षण विषयों के अधिकारों, सुरक्षा और भलाई को सुरक्षित रखने के लिए नैदानिक परीक्षण प्रोटोकॉल की समीक्षा और अनुमोदन किया. यह मौतों सहित गंभीर विपरीत घटना की रिपोर्ट का विश्लेषण करती है और डीसीजीआई को अपनी राय देती है.
सोमानी ने बताया कि यह CDSCO को 30 दिनों के भीतर सभी गंभीर प्रतिकूल घटनाओं की भी रिपोर्ट करता है. अनुपालन न करने की स्थिति में, DCGI नैतिकता समिति के पंजीकरण को निलंबित या रद्द कर सकता है. उन्होंने जानकारी दी कि पिछले ट्रायल में मुआवजे के तौर पर पीड़ितों को 12 करोड़ रुपये दिए गए थे.
DCGI ने कहा कि विषयों या रोगियों को संबंधित एथिक्स कमेटी और CDSCO द्वारा अनुमोदित प्रोटोकॉल के अनुसार समावेशन और बहिष्करण मानदंडों की पूर्ति के आधार पर जांचकर्ता द्वारा नैदानिक परीक्षण में नामांकित किया जाता है.
सोमानी ने कहा कि स्वंयसेवकों को स्वेच्छा से परीक्षण में भाग लेने का निर्णय लेता है और संबंधित एथिक्स कमेटी द्वारा अनुमोदित परीक्षण, संभावित प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं, मुफ्त चिकित्सा प्रबंधन के प्रावधान, क्षतिपूर्ति समाप्ति के प्रावधान को मंजूरी देते हुए सूचित सहमति प्रपत्र पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है.