दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में डाहूक सेवादारों का है खास महत्व

भगवान जगन्नाथ विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा की भव्यता और इससे जुड़े अनुष्ठान इसे खास बनाते हैं. रथ यात्रा का एक अनुष्ठान ऐसा भी होता है, जिसमें खास सेवादार पारम्परिक गालियों से युक्त गीत गाते हैं. इनको डाहूक कहा जाता है. रथ यात्रा से जुड़े हर संस्कार में ये डाहूक सेवादार अहम योगदान निभाते हैं. देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

Dahuka Service during rath yatra
डिजाइन फोटो

By

Published : Jun 22, 2020, 7:27 PM IST

पुरी : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से पहले एक ऐसा अनुष्ठान भी किया जाता है, जिसमें डाहूक सेवादार गीत गाते हैं. सदियों पुराने इस अनुष्ठान के पूर्ण होने के बाद ही भगवान की रथ यात्रा शुरू होती है. डाहूक सेवादार यह गीत श्रद्धालुओं में जोश भरने के लिए गाते हैं.

यह प्रथा आज भी उतनी ही प्रचलित है. बता दें कि शुरुआती दिनों में इन गीतों की भाषा में गालियों का प्रयोग किया जाता था. हालांकि समय के साथ गीतों की भाषा में कई बदलाव किए गए.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

डाहूक सेवादारों के बाहूक भी कहा जाता है. डाहूक सेवादार रथ पर सवार होते हैं और रथ का मार्गदर्शन करते हैं.

रथ यात्रा शुरू होने से पहले डाहूक सेवादार रथ पर छड़ी लेकर चढ़ जाते हैं. इसके बाद वे हृदय को छू लेने वाले गीत गाते हैं. इन सेवादारों को भगवान जगन्नाथ के भव्य रथ का सारथी माना जाता है.

डाहूक के गीतों को सुनकर भक्त भावविभोर हो जाते हैं. गीत खत्म होने के बाद हरिबोल की जय-जयकार के साथ भव्य रथ यात्रा शुरू होती है. इस दौरान वाद्य यंत्रों की ध्वनि असीम शांति का अनुभव कराती है.

पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट से पुरी में जगन्नाथ यात्रा को मिली मंजूरी, नियमों का करना होगा पालन

डाहूकों की इस सेवा का रथ यात्रा में अहम स्थान है. इसका उल्लेख श्री मंदिर (जगन्नाथ मंदिर) के संस्कारों के अभिलेख में भी मिलता है. वे आम सेवादारों की तरह नहीं होते. उनकी सेवा का खास महत्व होता है. यह सेवा वंशानुगत होती है.

डाहूक सेवादार रथ यात्रा के दौरान यह अनूठा अनुष्ठान करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं. जब डाहूक गीत गाते हैं तो मुख्य मंदिर को गुंडिचा मंदिर से जोड़ने वाली सड़क पर आध्यात्मिक वातावरण बन जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details