चेन्नई : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सभी अपनी सेहत को लेकर सजग हैं. जरा सी लापरवाही जीवन में बड़ी समस्या पैदा कर सकती है. इसी को ध्यान में रखते हुए आम जिंदगी में लोग साइकिलिंग को महत्व दे रहे हैं. वहीं, तेज रफ्तार जिंदगी में लोग सेहतमंद बने रहने के लिए साइकिलिंग कर रहे हैं. साइकिलिंग दिल की धड़कन को जहां नियमित करती है, वहीं दिल की होने वाली बीमारियों को दूर करती है. यह खुशी की बात है आज की पीढ़ी साइकिलिंग को जीवन का हिस्सा बना रही है. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि सिर्फ आधे घंटे साइकिलिंग करने से दिमाग अच्छे से काम करता है और दिनभर फुर्ती भी बनी रहती है.
पहले जमाने में साइकिल का होता था ज्यादा प्रयोग
पहले जमाने की बात करें, तो आमजन यात्रा के लिए सिर्फ साइकिल का प्रयोग करते थे, लेकिन समय के परिवर्तन के बाद साइकिलिंग का प्रचलन कम हो गया. शहरों में ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में भी दोपहिया और चौपहिया वाहनों का उपयोग बढ़ा है. कम समय में लंबी दूरी को तय करने के लिए दोपहिया और चौपहिया वाहन पहली पसंद बन गए हैं. हालांकि, ये सभी वाहन कारगर हैं, लेकिन इनसे प्रदूषण भी काफी बढ़ा है, जो काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है.
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए डॉक्टरों ने दी सलाह
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए डॉक्टरों ने चेतावनी भी दी है कि अगर लंबे समय तक वायु प्रदूषण कायम रहा, तो लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. वहीं, ऑक्सीजन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाएगी. इस मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मानें, तो बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते दुनियाभर में करीब 70 लाख लोगों की मौत हो रही है, जो चिंता का विषय है. देश की राजधानी में लोग कोरोना महामारी से पहले से ही मास्क पहनने के आदी थे, क्योंकि यहां की हवा काफी जहरीली हो रही थी. हालांकि, वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण का एकमात्र कारण नहीं हैं. कारखानों, कृषि और प्लास्टिक को जलाने से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन दोपहिया और चौपहिया वाहनों को छोड़कर साइकिल की तरफ जाने से इन प्रदूषणों को कम करने में काफी हद तक मदद मिलेगी.